उन दिनों छुट्टियाँ थी। आश्रम के अधिकांश लोग बाहर चले गए थे। एक दिन हमने
सपरिवार उनके दर्शन की ठानी। 'दर्शन' को मैं जो यहाँ विशेष रूप से दर्शनीय बनाकर लिख
रहा हूँ, उसका कारण यह है कि गुरूदेव के पास जब कभी मैं जाता था तो प्रायः वे यह कहकर
मुसकरा देते थे कि 'दर्शनार्थी' हैं क्या ? शुरू शुरू में उनसे ऐसा बंगला में बात करता था, जो
वस्तुतः हिन्दी मुहावरों का अनुवाद हुआ करती थी। किसी बाहर के अतिथि को जब मैं उनके
पास ले जाता था तो कहा करता था 'एक मद्र लोक आपनार दर्शनेर जरू ऐसे छेन' । यह बात
हिन्दी में जितनी प्रचलित है, उतनी बंगला में नहीं। इसलिए गुरूदेव जरा मुसकरा देते थे।
बाद में मुझे मालूम हुआ कि मेरी यह भाषा बहुत अधिक पुस्तकीय है और गुरूदेव ने उस 'दर्शन
शब्द को पकड़ लिया था। इसलिए जब कभी मैं असमय में पहुँच जाता था तो हँसकर पूछते
थे दर्शनार्थी लेकर आए हाक क्या ?
(1) यह गद्यांश किस पाठ से लिया गया हैं ?
(क) एक कुत्ता
(ख) एक मैना
एक कुत्ता और एक मैना
(2) इस पाठ के लेखक का नाम क्या है ?
(क) हजारी प्रसाद द्विवेदी
(ख) जाकिर हुसैन
(ग) हरिशंकर परसाई
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1. यह गद्यांश किस पाठ से लिया गया हैं ?
(क) एक कुत्ता
(ख) एक मैना
(ग) एक कुत्ता और एक मैना
2. इस पाठ के लेखक का नाम क्या है ?
(क) हजारी प्रसाद द्विवेदी
(ख) जाकिर हुसैन
(ग) हरिशंकर परसाई
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1. यह गद्यांश किस पाठ से लिया गया हैं ?
(क) एक कुत्ता
(ख) एक मैना
(ग) एक कुत्ता और एक मैना
2. इस पाठ के लेखक का नाम क्या है ?
(क) हजारी प्रसाद द्विवेदी
(ख) जाकिर हुसैन
(ग) हरिशंकर परसाई
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