Science, asked by sk9501520, 6 months ago

उन विवेक तरीकों की सूची बनाएं जिसमें लोग अपनी पानी की जरूरतों का प्रबंध करते हैं​

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Answered by negiabhishek236
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विभिन्न स्तरों पर जल संरक्षण

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Author:पर्यावरण विज्ञान उच्चतर माध्यमिक पाठ्यक्रम

Source:पर्यावरण विज्ञान उच्चतर माध्यमिक पाठ्यक्रम

ड्रिप सिंचाई

ड्रिप सिंचाई आपने पहले से ही जान चुके हैं कि जल सभी जीवित प्राणियों के अस्तित्व के लिये कितना महत्त्वपूर्ण है। आपने यह भी जानकारी प्राप्त कर ली होगी कि प्रयोग करने योग्य पानी की कमी होती जा रही है। इस पाठ में आप पानी के संरक्षण के कुछ महत्त्वपूर्ण उपाय, प्रत्येक व्यक्ति, समुदाय तथा जल संरक्षण में सरकार का योगदान की भूमिका के बारे में जान जायेंगे।

उद्देश्य

इस पाठ के अध्ययन के समापन के पश्चात आपः

1. पानी की कमी से बचने के लिये विभिन्न उपाय के बारे में चर्चा कर सकेंगे (पानी के उपयोग दक्षता की अवधारणा की चर्चा भी शामिल है।) ;

2. जल संभर प्रबंधन के विषय में वर्णन कीजिए ;

3. जल की कमी को रोकने के लिये व्यक्तिगत चेष्टाओं के उदाहरण दीजिये (वृत्त अध्ययन) ;

4. अलवण जल संसाधनों के संरक्षण के लिये समुदाय की भूमिका की चर्चा भी करेंगे ;

5. स्वच्छ जल के संरक्षण के लिये सरकारी कार्यवाही (मौजूद और आवश्यक) का वर्णन करेंगे और उनकी सूची बना पायेंगे ;

6. जल संरक्षण के लिये एक व्यक्ति की भूमिका का वर्णन कर सकेंगे।

31.1 जल संरक्षण के विभिन्न तरीके (उपाय)

31.1.1 संरक्षण एवं प्रबंधन

भारत एक विकासशील देश है, जिसका क्षेत्र विशाल है, जटिल स्थलाकृति है, परिवर्तनशील जलवायु है और एक बड़ी आबादी है। देश में अवक्षेपण तथा प्रवाह न केवल असमान रूप से वितरित है परन्तु वर्ष के दौरान में भी पानी के वितरण के समय भी असमान है। जल्दी-जल्दी आने वाली बाढ़, सूखा तथा अस्थिर कृषि उत्पादन हमेशा से एक गंभीर समस्या रही है। भारतीय मौसम विभाग (Indian Metrological Department आई.एम.डी.) के अनुसार भारत में वर्षा के केवल चालीस दिन होते हैं और फिर लंबी अवधि के लिये शुष्क मौसम होता है।

भारत एक कृषि प्रधान देश है, इसका आर्थिक विकास कृषि से जुड़ा हुआ है। कृषि के लिये मुख्य सीमित कारण जल है। बढ़ती हुई जनसंख्या और परिणामस्वरूप खाद्य-उत्पादन में वृद्धि, कृषि क्षेत्र और सिंचाई क्षेत्र में वृद्धि के कारण जल का अधिक उपयोग हो रहा है। जल संसाधनों के अत्यधिक उपयोग के कारण, देश के कई भागों में पानी की कमी हो रही है। कहने की आवश्यकता नहीं कि भारत के आर्थिक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक विकास के लिये जल संरक्षण बहुत महत्त्वपूर्ण है।

31.1.2 संरक्षण तकनीक

भारत में जल का प्राथमिक (मुख्य) स्रोत है दक्षिण-पश्चिम और उत्तर-पूर्वी मानसून। तथापि मानसून अनिश्चित होती है और जैसा कि आपने अध्ययन किया है, वर्षा की अवधि और मात्रा हमारे देश के विभिन्न भागों में अलग-अलग पायी जाती है। इसलिये सतह पर प्रवाह के संरक्षण की आवश्यकता है। सतही जल के संरक्षण की तकनीकें हैं :

(क) भंडारण द्वारा सतह के पानी का संरक्षण

विभिन्न जलाशयों का निर्माण करके उनमें जल संग्रह करना जल संरक्षण का सबसे पुराना उपाय है। भंडारण की संभावना एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में पानी की उपलब्धता और स्थलाकृतिक दशाओं पर निर्भर करती है। इस भंडारण के लिये वातावरण के अनुकूल नीति विकसित करने के लिये पर्यावरणीय प्रभाव के जाँच की आवश्यकता है।

(ख) वर्षाजल का संरक्षण

प्राचीन काल से हमारे देश के विभिन्न भागों में वर्षाजल संरक्षण करके कृषि के लिये प्रयोग में लाया जाता रहा है। यदि एक बड़े क्षेत्र में विरल वर्षा संग्रहित की जाये तो उससे काफी मात्रा में जल प्राप्त हो सकता है। समोच्च खेती (Contour farming) एक उदाहरण है ऐसी उपज- तकनीक का जिसमें बहुत साधारण स्तर पर पानी और नमी का नियंत्रण किया जा सकता है। प्रायः इसमें समोच्च के कटाव के साथ रखी चट्टानों की कतारें शामिल हैं। इन बाधाओं द्वारा रोका गया जल प्रवाह भी मिट्टी को रोकने में सहायता करता है जिससे कि कोमल ढलानों के लिये कटाव नियंत्रण का तरीका बन जाता है। जिन क्षेत्रों मे बहुत अधिक तेजी से वर्षा होती है तथा जो बहुत बड़े क्षेत्रों में फैली होती है- जैसे हिमालय क्षेत्र, उत्तर पूर्वी राज्यों अंडमान तथा निकोबार द्वीप-उनमें यह तकनीक विशेष रूप से उपयुक्त होती है।

जिन क्षेत्रों में वर्षा थोड़ी कम अवधि के लिये होती है, ये तकनीकें प्रयास के योग्य हैं क्योंकि सतही प्रवाह को फिर भंडारित किया जा सकता है।

(ग) भूमिगत संरक्षण

भूमिगत जल की विशेषताएँ

1. सतह जल की तुलना में अधिक भूमिगत जल है।

2. भूमिगत जल कम खर्चीला है तथा आर्थिक संसाधन है एवं लगभग प्रत्येक स्थान पर उपलब्ध हैं।

3. भूमिगत जल, पानी की आपूर्ति के लिये, अधिक टिकाऊ संपोषणीय तथा विश्वसनीय स्रोत है।

4. भूमिगत जल प्रदूषण के प्रति अपेक्षाकृत कम संवेदनशील है।

5. भूमिगत जल रोगजनक जीवों से मुक्त है।

6. भूमिगत जल का प्रयोग करने से पहले थोड़े से उपचार की आवश्यकता होती है।

7. भूमिगत आधारित पानी आपूर्ति में वाहनों का कोई नुकसान नहीं है।

8. भूमिगत जल को सूखे से कम खतरा है।

9. भूमिगत जल शुष्क और अर्द्ध शुष्क क्षेत्रों के लिये जीवन की कुंजी होता है।

10. भूमिगत जल सूखे मौसम में नदियों और धाराओं के प्रवाह का स्रोत है।

जैसा

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