उनकी निर्जीव, निराश आहत आत्मा सांत्वना केलिए विकल हो रही थी, सच्ची स्नेह में डूबी हुईसांत्वना के लिए-उस रोगी की भाँति, जो जीवन-सूत्र क्षीण हो जाने पर भी वैद्य के मुख की ओरआशा-भरी आँखो से ताक रहा हो।
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उनकी निर्जीव, निराश आहत आत्मा सांत्वना के लिए विकल हो रही थी, सच्ची स्नेह में डूबी हुई सांत्वना के लिए उस रोगी की भाँति, जो जीवन- सूत्र क्षीण हो जाने पर भी वैद्य के मुख की ओर आशा-भरी आँखो से ताक रहा हो। अथवा "उसके सारे शरीर से स्वच्छ, कांति प्रवाहित हो रही थी।
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