UNIT 5
लोकपाल एवं लोकायुक्त संस्था को समझाते हुए वर्तमान में इसके संगठन एवं भूमिका का वर्णन कीजिए.
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क्या हैं लोकपाल और लोकायुक्त?
- लोकपाल तथा लोकायुक्त अधिनियम, 2013 ने संघ (केंद्र) के लिये लोकपाल और राज्यों के लिये लोकायुक्त संस्था की व्यवस्था की।
- ये संस्थाएँ बिना किसी संवैधानिक दर्जे वाले वैधानिक निकाय हैं।
- ये Ombudsman का कार्य करते हैं और कुछ निश्चित श्रेणी के सरकारी अधिकारियों के विरुद्ध लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की जाँच करते हैं।
हमें ऐसी संस्थाओं की आवश्यकता क्यों है?
- खराब प्रशासन दीमक की तरह है जो धीरे-धीरे किसी राष्ट्र की नींव को खोखला करता है तथा प्रशासन को अपने कार्य पूर्ण करने में बाधा डालता है। भ्रष्टाचार इस समस्या की जड़ है।
- अधिकतर भ्रष्टाचार निरोधी संस्थाएँ पूर्णतः स्वतंत्र नहीं हैं। यहाँ तक कि सर्वोच्च न्यायालय ने भी CBI को ‘पिंजरे का तोता’ और ‘अपने मालिक की आवाज़’ बताया है।
- इनमें से कई एजेंसियाँ नाममात्र शक्तियों वाले केवल परामर्शी निकाय हैं और उनकी सलाह का शायद ही अनुसरण किया जाता है।
- इसके अलावा आंतरिक पारदर्शिता और जवाबदेही की भी समस्या है, क्योंकि इन एजेंसियों पर नज़र रखने के लिये अलग से कोई प्रभावी व्यवस्था नहीं है।
- इस संदर्भ में, एक स्वतंत्र लोकपाल संस्था भारतीय राजनीति के इतिहास में मील का पत्थर कहा जा सकता है, जिसने कभी समाप्त न होने वाले भ्रष्टाचार के खतरे का एक समाधान प्रस्तुत किया है।
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