उपायेन हि यच्छक्यं न तच्छक्यं पराक्रमैः ।
गच्छता पङ्कमार्गेण शृगालेन हतो गजः ॥
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उपायेन हि यच्छक्यं न तच्छक्यं पराक्रमैः।
गच्छता पङ्कमार्गेण शृगालेन हतो गजः।।
हिंदी अर्थ ➲ जो कार्य उपाय से सम्भव है, वह पराक्रम से नहीं हो सकता। बिल्कुल उसी प्रकार जैसे कि शृगाल यानि सियार द्वारा हाथी लोभ देकर दलदल को ओर ले जाने पर दलदल में फंसकर मारा गया।
✎... कहने का भावार्थ यह है कि जो कार्य उपाय यानी युक्ती और चतुराई से संपन्न हो सकता है, वह पराक्रम और बहादुरी से नहीं हो सकता। जिस तरह सियार द्वारा बताए गए लोभ के जाल में हाथी फंस गया और बिना सोचे समझे दल-दल की ओर चला गया और उसमें फंसकर अपने प्राणों को गवा बैठा।
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