उपमा अलंकार के कितने भेद हैं
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उपमा अलंकार के निम्न चार अंग होते हैं - उपमेय, उपमान, वाचक शब्द, साधारण धर्म।
उपमा अलंकार के दो भेद होते हैं,
- पूर्णोपमा
- तुप्तोपमा
व्याख्या :
उपमा अलंकार : उपमा अलंकार से तात्पर्य उस अलंकार से होता है, जहाँ दो अलग-अलग व्यक्तियों या वस्तुओं के रूप, गुण और धर्म में अंतर होते हुए भी उनमें समानता दर्शाई जाए। उपमा अलंकार के चार अंग होते हैं,
- उपमेय
- उपमान
- वाचक शब्द
- सामान्य गुणधर्म
उपमा अलंकार के दो भेद होते हैं,
- पूर्णोपमा
- तुप्तोपमा
पूर्णोपमा में उपमा अलंकार के चारों अंग उपमेय, उपमान, वाचक शब्द तथा सामान्य गुणधर्म उपस्थित होते हैं।
जैसे
राधा बदन चंद सा सुंदर
इस उदाहरण में उसमें राधा उपमेय है, चंद उपमान है, सा वाचक शब्द है और सुंदर सामान्य गुणधर्म है। इसी कारण यहाँ पूर्णोपमा अलंकार है।
लुप्तोपमा अलंकार में उपमा अलंकार के चारों अंग उपमेय, उपमान, वाचक शब्द तथा सामान्य गुणधर्म में से एक, दो या तीन अंग गायब हो जाते हैं।
जैसे
मुख सा चंद्र है
यहाँ पर मुख उपमेय है, सा वाचक शब्द है, चंद्र उपमान है, लेकिन सामान्य गुणधर्म गायब है इसलिये यहाँ लुप्तोपमा अलंकार होगा।