Hindi, asked by saritathakre06, 6 months ago

उपन्यास के तत्वों के आधार पर गोदान' उपन्यास की समीक्षा कीजिए।​

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Answered by klrahul5305
3

Answer:

Aadhar par Godan upanyas ki Samiksha kijiye

Answered by qwstoke
6

गोदान राष्ट्रकवि मुंशी प्रेमचन्दजी की ग्राम्य जीवन व कृषि संस्कृति पर आधारित एक महाकाव्य है।

- इस महाकाव्य को प्रेमचन्दजी की सर्वोत्तम कृति माना गया है।

- गोदान मुंशीजी की अंतिम कृति थी।

- गोदान का प्रकाशन 1936 में हिंदी ग्रंथ रत्नाकर कार्यालय मुंबई द्वारा किया गया था।

- इस काव्य में प्रगतिवाद, गांधीवादी मार्क्स वाद का चित्रण हुआ है।

- गोदान के नायक व नायिका होरी व धनिया है। उनके परिवार ने भारत की एक विशेष संस्कृति को सजीव व साकार रूप दिया , ऐसी संस्कृति अब भारत में नहीं दिखाई देती।

- इसमें भारत की सौंधी मिट्टी की महक आती है।

- इस कथा में भारतीय किसान का संपूर्ण जीवन उसकी आकांशा, निराशा व भारतपारायणता , उसकी धर्म भिरूता व बेबसी का सजीव चित्रण है।

- उसका जीवन ऋण के बोझ से ग्रस्त है फिर भी वह त्रास व पीड़ा की भावना को झुठलाता गया दिखता है। उसके जीवन में पग पग पर कांटे बिछे है। उसका शरीर जर्जर हो चुका है।

- ऐसा प्रतीत होता है कि प्रेमचन्दजी ने अपने जीवन के सम्पूर्ण व्यंग, विनोद , वेदना व विद्रोह को एक ही उपन्यास में जागृत किया है।

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