उपन्यास में कितने तत्व माने गए हैं
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उपन्यास साहित्य मानव जीवन का महत्वपूर्ण अंग बन चुका है । ४४ Page 8 उपन्यास के तत्त्व : अधिक्तर विद्वानों ने उपन्यास के प्रमुख छः तत्त्व माने हैं । (१) कथानक / कथावस्तु (२) पात्र / चरित्र-चित्रण (३) कथोप कथन / संवाद (४) देशकाल / वातावरण (५) भाषा-शैली (६) उद्देश्य ।
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उपन्यास में छह तत्व माने जाते है ।
- कथावस्तु
- पात्र/ चरित्र चित्रण
- कथन / संवाद
- देशकाल / वातावरण
- भाषा शैली
- उद्देश्य
कथावस्तु
- कथा वस्तु अधिकतर काल्पनिक होती है।
- उपन्यास की कहानी किसी के जीवन से प्रेरित भी ही सकती है।
पात्र/ चरित्र
- पात्र उपन्यास का महत्वपूर्ण अंग होता है। पात्र दो प्रकार के होते है मुख्य व गौण।
चित्रणकथन / संवाद
- संवाद कथानक को गति देते है।संवाद ऐसे होने चाहिए जो कथावाचक पर अमित छाप छोड़े।
देशकाल / वातावरण
- लेखक उपन्यास में जिस स्थान अथवा वातावरण का वर्णन कर रहा है, उसी स्थान का अपने लेख के द्वारा अनुभव करवाना आवश्यक है जिससे वाचक को लगे कि वे भी उसी स्थान पर पहुंच गए है।
भाषा शैली
- भाषा शैली अति प्रभावशाली होनी चाहिए, भाषा शैली के माध्यम से ही कथानक वाचक के साथ अधिक संपर्क अनुभव करवा सकता है।
उद्देश्य
- भारतीय उपन्यासों व साहित्य की यही विशेषता है कि उनका उद्देश्य लोगों को जागरूक करना व समाज तक एक सीख पहुंचाना होता है जिसे वे उपन्यास व कहानियों के माध्यम से भली भांति कर लेते है।
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