उपर्युक्त काव्यांश के कवि तथा कविता का नाम बताइए|
-'हो जाये न पथ में रात कहीं' यहाँ कवि किस पथ और रात की बात करता है?
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कवि का नाम है हरिवंश राय बच्चन
कविता का नाम एक गीत दिन जल्दी जल्दी ढलता है
हो जाना बाद में रात का ही मंजिल भी तो दूर नहीं है सोच का दिन का थका पंथी भी जल्दी जल्दी चलता दिन जल्दी जल्दी ढलता का तात्पर्य कि कभी कहते हैं कि दिन जल्दी जल्दी ढलता है इस कारण है सोच कर कि रास्ते में कहीं रात ना हो जा दिनभर कथा का हो या द्रव्य अपनी मंजिलें उद्देश्य शीघ्र पहुंचने के लिए जल्दी-जल्दी चलता है लग जाता तब तक पहुंचेगा के जल्दी-जल्दी प्रतीत होता है कभी बार-बार दूर आता है कि शीघ्र रहा है
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