उपर्युक्त पद्यांश की आरंभ की चार पंक्तियों का सरल अर्थ 25 से 30
शब्दों में लिखिए। पद्य गजल
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पूरा प्रश्न इस प्रकार होगा,
कबहुँ प्रबल बह मारुत जहँ तहँ मेघ बिलाहिं।
जिमि कपूत के उपजें कुल सद्धर्म नसाहिं।।
कबहु दिवस महँ निबिड़ तम कबहुँक प्रगट पतंग।
बिनसइ उपजइ ग्यान जिमि पाइ कुसंग सुसंग।।
अर्थ : कभी-कभी अचानक हवा तेज चलने लगती है, जिससे बादल गायब हो जाते हैं। यह दृश्य कर बिल्कुल वैसा लगता है जैसे किसी परिवार में कोई कुपुत्र उत्पन्न हो गया हो और उसके बुरे कर्मों के कारण सुसंस्कृत परिवार के अच्छे कार्य नष्ट हो गए हों।
कभी-कभी ऐसा लगता है बादलों के कारण दिन में भी घनघोर अंधेरा छा जाता है और फिर अचानक सूर्य प्रकट होता है, और प्रकाश हो जाता है। तब ऐसे लगता है कि बुरी संगत पाकर ज्ञान नष्ट हो गया हो और फिर अच्छी संगत पाकर ज्ञान का उदय हुआ हो।
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