उपयेजित लेखन
निम्नलिखित जानकारी पर आधारित पत्र लिखिए ।
मार्क०५
शाहु नगरी, कोल्हापुर-४१६००३ में भयंकर आवाज करने वाले पटाखे, असमय फोडे
जाने के कारण वहाँ के निवासी त्रस्त है । इस संदर्भ में अमित/अमिता पाटिल, स्वास्थ
अधिकारी, कोल्हापुर ४१६००७ को शिकायत पत्र लिखता लिखतती है ।
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पूरे साल में पर्यावरण को सबसे अधिक नुकसान दीवाली के दिन फोड़े जाने वाले पटाखों से निकलने वाली गैस, आवाज और धूल से हाेता है।
पर्यावरण सरंक्षण विभाग के द्वारा हर साल दीवाली के पूर्व और दीवाली के दिन शाम को आबो हवा की जांच की जाती है। जिससे इस बात का खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार सामान्य दिनों में 24 घंटे में सल्फर गैस आैसतन 10.6 और नाइट्रोजन 9.31 माइक्रो मिली ग्राम प्रति घन मीटर हवा में मौजूद रहती है, जिसका मानव शरीर पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ता, जबकि दिवाली में 24 घंटे में इन गैसों की मात्रा पर्यावरण में दोगुने से अधिक हो जाती है। 2015 में दीवाली के दिन पर्यावरण विभाग द्वारा शहर के बीच शहीद चौक स्थिति विद्युत मंडल के रीजन कार्यालय में लगे मापक यंत्र के अनुसार सल्फर गैस 21.79 और नाइट्रोजन गैस 25.91 माइक्रो मिलीग्राम प्रति घन मीटर दर्ज की गई। जिसका सीधा प्रभाव मानव शरीर पर पड़ता है। खासकर बच्चे, बुजुर्ग और दमा के मरीजों के लिए यह बेहद खतरनाक है।
दिवाली पर प्रदूषण का स्तर मापने के लिए इस साल दो प्रमुख जगहों पर यंत्र लगाए जाने हैं। इन दोनों जगहों से दिवाली के पहले और दिवाली के दौरान हवा में मिली अशुद्धियों की जांच की जाएगी, ताकि प्रदूषण के स्तर को जांच कर रिपोर्ट सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड को भेजा जा सके।
बीते तीन सालों में सबसे प्रदूषित दिन दीवाली का होता है। दीवाली के पहले और इस दौरान जांच रिपोर्ट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड को भेजा गया है। बोर्ड द्वारा रिपोर्ट पर हर साल समीक्षा की जाती है। इस साल भी यह जांच के बाद भेजा जाएगा। '' आरके शर्मा, जिला पर्यावरण अधिकारी
तेज आवाज वाले पटाखे प्रतिबंधित
रसायन शास्त्र के जानकार और पर्यावरण विभाग के मिली जानकारी के अनुसार तेज आवाज वाले पटाखों में बारूद, चारकोल, नाइट्रोजन और सल्फर जैसे रसायन का इस्तेमाल अधिक मात्रा में होता है। जिससे पटाखों से चिंगारी, धुआं और तेज आवाज निकलती है। ऐसे पटाखों के फटने पर रसायनों का मिश्रण गैस के रूप में वातावरण में मुक्त होता है। इनके फटने से ध्वनि प्रदूषण, वायु प्रदूषण और डस्ट के सूक्ष्म कण पर्यावरण में फैल जाते हैं।
अस्थमा और हार्ट के मरीजों पर असर
पटाखों से निकलने वाली सल्फर डाई ऑक्साइड और नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड गैसों व लेड समेत अन्य रसायनिक तत्वों के सूक्ष्म कणों की वजह से अस्थमा व दिल के मरीजों को काफी परेशानी होती है। विशेषज्ञ बताते हैं कि इसकी मात्रा अधिक होने पर श्वसन नली सिकुड़ने लगती है। जिससे इस प्रकार के मरीजों को सांस लेने में परेशानी होती है। ऐसे लोगों को पटाखों से निकलने वाली धुआं के संपर्क में नहीं रहना चाहिए। वहीं बच्चों को पटाखें जलाते समय कान व नाक में रुई डाल लेनी चाहिए।
एनजीटी से कार्रवाई के सख्त निर्देश
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल कोर्ट ने हर साल की तरह इस बार 125 डेसिबल से अधिक आवाज वाले पटाखों पर प्रतिबंध लगा रखा है। इसके लिए सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड को नियंत्रण लगाने सभी राज्यों में प्रत्येक जिला प्रमुखों को सूचित किया गया है। एनजीटी ने तेज आवाज वाले पटाखों के उत्पादन पर भी पहले ही प्रतिबंध लगाने के निर्देश दे रखे हैं।
तेज आवाज वाले पटाखे प्रतिबंधित
रसायन शास्त्र के जानकार और पर्यावरण विभाग के मिली जानकारी के अनुसार तेज आवाज वाले पटाखों में बारूद, चारकोल, नाइट्रोजन और सल्फर जैसे रसायन का इस्तेमाल अधिक मात्रा में होता है। जिससे पटाखों से चिंगारी, धुआं और तेज आवाज निकलती है। ऐसे पटाखों के फटने पर रसायनों का मिश्रण गैस के रूप में वातावरण में मुक्त होता है। इनके फटने से ध्वनि प्रदूषण, वायु प्रदूषण और डस्ट के सूक्ष्म कण पर्यावरण में फैल जाते हैं।
दीवाली के दिन बीते तीन साल की जांच रिपोर्ट
2015- ध्वनि प्रदूषण- अधि. 73.03 डेसिबल (पूरे दिन का अौसत 75 डेसिबल)
वायु प्रदूषण - सल्फर 22.91, नाइट्रोजन 28.72 माइक्रोग्राम/घनमीटर
एसपीएम (धूल) - 24 घंटे में 325 माइक्रोग्राम/घनमीटर
2014- ध्वनि प्रदूषण- अधि. 85.03 डेसिबल (पूरे दिन का अौसत 79 डेसिबल)
वायु प्रदूषण - सल्फर 22.91, नाइट्रोजन 26.72 माइक्रोग्राम/घनमीटर
एसपीएम (धूल) - 24 घंटे में 325 माइक्रोग्राम/घनमीटर
2013- ध्वनि प्रदूषण- अधि. 80.12 डेसिबल (पूरे दिन का अौसत 60.03 डेसिबल)
वायु प्रदूषण- सल्फर 25.82, नाइट्रोजन 28.35 माइक्रोग्राम/घनमीटर
एसपीएम (धूल)- 24 घंटे में 447 माइक्रोग्राम/घनमीटर
यह होनी चाहिए सामान्य अवस्था
ध्वनि प्रदूषण- अधि. 50.00 डेसिबल (पूरे दिन का अौसत 48.00 डेसिबल)
वायु प्रदूषण- सल्फर 10.06, नाइट्रोजन 15.88 माइक्रोग्राम/घनमीटर
एसपीएम (धूल)- 24 घंटे में 153.07 माइक्रोग्राम/घनमीटर
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