Science, asked by okartik861, 2 months ago

उपयुक्त तथ्यों के आधार पर नीचे दिये गये विवरण को परकीजि
अधीनतामूलक मित्रता नीति
हड़प नीति
समयकाल
1.
मूल नाति
2.​

Answers

Answered by prevanth1507
1

व्यपगत का सिद्धान्त या हड़प नीति (अँग्रेजी: The Doctrine of Lapse, 1848-1856)।पैतृक वारिस के न होने की स्थिति में सर्वोच्च सत्ता कंपनी के द्वारा अपने अधीनस्थ क्षेत्रों को ब्रिटिश साम्राज्य में मिलाने की नीति व्यपगत का सिद्धान्त या हड़प नीति कहलाती है। यह परमसत्ता के सिद्धान्त का उपसिद्धांत था, जिसके द्वारा ग्रेट ब्रिटेन ने भारतीय उपमहाद्वीप के शासक के रूप में अधीनस्थ भारतीय राज्यों के संचालन तथा उनकी उत्तराधिकार के व्यवस्थापन का दावा किया।[1]

यह विस्तारवादी नीति थी। कंपनी के गवर्नर जनरलों ने भारतीय राज्यों को अंगरेजी साम्राज्य में मिलाने के उद्देश्य से कई नियम बनाए। उदाहरण के लिये, किसी राजा के निःसंतान होने पर उसका राज्य ब्रितानी साम्राज्य का हिस्सा बन जाता था। राज्य हड़प नीति के कारण भारतीय नरेशों में बहुत असंतोष पैदा हुआ था। 1857 में हुए ब्रितानी शासन के खिलाफ भारतीय प्रतिरोध को जन्म देने में इस नीति की महत्वपूर्ण भूमिका थी।डलहौजी ने इस सिद्धान्त पर कार्य किया कि जिस प्रकार भी संभव हो सके,ब्रिटिश साम्राज्य का विस्तार किया जाए

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