उपयुक्त वाख में कवयित्री ललद्यद ने 'माझी' का प्रयोग किसके लिए किया है और क्यों?
- पाठ 10 वाख
class 9th
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hey mate here it is :-
कबियत्री ललघाद ने " मझी " का प्रयोग जेब टटोली मे कोड़ी ना पने पर प्रयोग किया है ।
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Answer:
आई सीधी राह से, गई न सीधी राह्।
आई सीधी राह से, गई न सीधी राह्।सुषुम सेतु पर खड़ी थी, बीत गया दिन आह।
आई सीधी राह से, गई न सीधी राह्।सुषुम सेतु पर खड़ी थी, बीत गया दिन आह।जेब टटोली, कौड़ी न पाई।
आई सीधी राह से, गई न सीधी राह्।सुषुम सेतु पर खड़ी थी, बीत गया दिन आह।जेब टटोली, कौड़ी न पाई।माझी को दूँ, क्या उतराई।
किसी का जब इस संसार में जन्म होता है तो वह एक युगों से चल रहे सीधे तरीके से होता है। ऊपर वाला सबको एक ही जैसा बनाकर भेजता है। लेकिन जब हम अपनी जीवन यात्रा तय करते हैं तो बीच में कई बार भटक जाते हैं।
योग में सुषुम्ना नाड़ी पर नियंत्रण को बहुत महत्व दिया गया है। कहा गया है कि योग से इस पर नियंत्रण पाया जा सकता है और उससे शारीरिक और मानसिक फायदे होते हैं। ये भी बताया जाता है कि यह नियंत्रण आपको ईश्वर के करीब पहुँचने में मदद करता है।
आखिर में जब भक्त की नाव को भगवान पार लगा देते हैं तो वह कृतध्न होकर उन्हें कुछ देना चाहता है। लेकिन भक्त की श्रद्धा की पराकाष्ठा ऐसी है कि उसे लगता है कि उसके पास देने के लिए कुछ भी नहीं है। जो कुछ उसने जीवन में पाया वो सब तो भगवान का दिया हुआ है। वह तो खाली हाथ इस संसार में आया था और खाली हाथ ही वापस गया।
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