Economy, asked by daraksha2908, 4 months ago

upbhokta santulan ka kya arth hai or uski kone si maanytaay hai

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Answered by samiksha6176
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Answer:

उपभोक्ता संतुलन एक ऐसी स्थिति है जिसमें एक उपभोक्ता अपनी सीमित आय को व्यय करके अधिकतम संतुष्टि प्राप्त करता है । ऐसी स्थिति में उपभोक्ता अपनी आय को खर्च करने के वर्तमान ढंग में किसी भी प्रकार का परिवर्तन करना पसंद नहीं करता । “ एक उपभोक्ता उस समय संतुलन की अवस्था में होता है जब वह अपने व्यवहार को वर्तमान परिस्थितियों में सबसे अच्छा मानता है तथा उसमें , जब तक परिस्थितियों में परिवर्तन न हो , कोई परिवर्तन करना पसंद नहीं करता । "

Tu= कुल उपयोगिता।

Mu=सीमांत उपयोगिता।

( i )

वस्तु की अतिरिक्त इकाइयों का जैसे - जैसे अधिक उपयोग किया जाता है उनसे मिलने वाली सीमांत उपयोगिता कम होते जाती है । परंतु एक सीमा तक कुल उपयोगिता बढ़ती जाती है ।

( ii )

वस्तु की पहली चार इकाइयों से मिलने वाली सीमांत उपयोगिता धनात्मक है इसलिए कुल उपयोगिता में वद्धि होती गई अतएव जब तक वस्तु की सीमांत उपयोगिता धनात्मक रहती है , कुल उपयोगिता बढ़ती जाती है

( iii )

वस्त की पाँचवी इकाई से मिलने वाली सीमांत उपयोगिता शून्य ( Zero ) है । इस स्थिति में कल उपयोगिता अर्थात् 20 इकाई होगी । यह अवस्था पूर्ण संतुष्टि के बिंदु ( Point of Saturation ) की अवस्था कहलाती है । अतएव सीमांत उपयोगिता शून्य होती है , तो कुल उपयोगिता अधिकतम होती है ।

( iv )

वस्तु की छठी इकाई से मिलने वाली सीमांत उपयोगिता ऋणात्मक - 2 हो गई है । इसलिए व ह उपयोगिता भी 20 इकाइयों से कम होकर 18 इकाइयाँ रह गई है ।

. चित्र 1

के भाग ( A ) तथा ( B ) में वस्तु की इकाइयों को X - अक्ष तथा उपयोगिता को Y - अक्ष पर दिखाया गया है । चित्र 1 ( A ) में TU वक्र कुल उपयोगिता को प्रकट करती है । यह बिंद G तक ऊपर को उठ रही है । G बिंदु पांचवीं इकाई पर अधिकतम कल उपयोगिता को प्रकट करता है । G बिंदु के पश्चात कुल उपयोगिता वक्र नीचे को झुकने लगता है । इसका अर्थ यह है कि छठी इकाई की सीमांत उपयोगिता नकारात्मक हो जाती है तथा कुल उपयोगिता घटने लगती है ।

चित्र 1 ( B ) में MU वक्र सीमांत उपयोगिता को प्रकट करती है । यह बाएँ से दाएँ नीचे को झुकती है । इसका अर्थ यह है कि प्रत्येक अगली इकाई की सीमांत उपयोगिता घटती जाती है

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