उर्जा के परम्परागत स्त्रोत के बारे में संक्षेप में वर्णन करें
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कडी, कोयला, तेल, पेट्रोल, डीजल, गैस आदि ऊर्जा के परम्परागत स्रोत हैं|
Explanation:
- परंपरागत ऊर्जा के स्रोत: जलावन, उपले, कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस और बिजली।
- गैर परंपरागत ऊर्जा के स्रोत: सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा, बायोगैस और परमाणु ऊर्जा।
- जलावन और उपले: अनुमानित आंकड़े के अनुसार आज भी ग्रामीण घरों की ऊर्जा की जरूरत का 70% भाग जलावन और उपलों से पूरा होता है। जंगल तेजी से कम हो रहे हैं, इसलिए जलावन की लकड़ियाँ पहले से अधिक मुश्किल से मिलती हैं। उपले गोबर से बनते हैं, लेकिन गोबर से खाद बनाकर गोबर का बेहतर उपयोग हो सकता है। इसके लिए हमें उपलों का इस्तेमाल कम करना होगा।
- भारत की वाणिज्यिक ऊर्जा जरूरतों के लिये कोयले का सबसे अधिक महत्व है। संपीड़न की मात्रा, गहराई और समय के अनुसार कोयले के तीन प्रकार होते हैं जो नीचे दिये गये हैं।
- कोयले के बाद पेट्रोलियम भारत का मुख्य ऊर्ज संसाधन है । ऊर्जा के स्रोत के अलावा पेट्रोलियम उत्पादों का इस्तेमाल कच्चे माल के रूप में कई उद्योगों में होता है। उदाहरण: प्लास्टिक, टेक्सटाइल, फार्मास्यूटिकल्स, आदि।
- प्राकृतिक गैस या तो पेट्रोलियम के साथ पाई जाती है या अकेले भी। प्राकृतिक गैस का इस्तेमाल ईंधन और कच्चे माल के तौर पर होता है। कृष्णा गोदावरी बेसिन में प्राकृतिक गैस के बड़े भंडार की खोज हुई है।
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