urja avrodh Kya hai chitr banakar samjhaye
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??? what are u asking mate ?
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किसी अभिक्रिया में अभिकारक अणुओं को उत्पाद में परिवर्तित होने के लिए आवश्यक न्यूनतम ऊर्जा देहली ऊर्जा कहलाती है। इस देहलीज ऊर्जा के बराबर या इससे अधिक ऊर्जा रखने वाले अभिकारक अणु ही उत्पाद में बदलते है अत: देहली ऊर्जा एक ऊर्जा अवरोधक है।
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