उस गुफा में एक गीदड़ रहता था। थोड़ी देर बाद वह वापस आया तो उसे गुफा के बाहर किसी के पैरों के निशान दिखाई दिये। उसे यह निशान किसी बड़े एवं खतरनाक जानवर के प्रतीत हुए। उसे किसी खतरे का एहसास हुआ। गीदड़ बहुत चालाक और सयाना था। उसने सोचा कि गुफा में जाने से पहले देखे मामला क्या है। उसने जोर से गुफा को आवाज़ लगाई – “गुफा ! ओ गुफा !" लेकिन जवाब कौन देता? गीदड़ ने फिर आवाज़ लगाई, “अरे मेरी गुफा, तू जवाब क्यों नही देती? आज तुझे क्या हो गया? हमेशा मेरे लौटने पर तू मेरा स्वागत करती है। आज क्या हो गया। अगर तूने जवाब न दिया तो मैं किसी दूसरी गुफा में चला जाऊंगा।" गीदड़ की बात सुनकर शेर ने सोचा कि यह गुफा तो बोलकर गीदड़ का स्वागत करती है। आज मेरे यहां होने की वजह से शायद डर गई है। अगर गीदड़ का स्वागत नहीं किया तो वह चला जाएगा। ऐसा विचार कर शेर अपनी भारी आवाज़ में जोर से बोला "आओ, आओ मेरे दोस्त, तुम्हारा स्वागत है।" शेर की आवाज़ सुनकर गीदड़ वहां से भाग गया। give big and big moral to this story
with on 5 to 10 sentance
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the moral of the story
हमेशा चौकन्ना रहना चाहिए।
खतरा के पास नही जाना चाहिए
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