उस कृषक का गान कर लू ।।
जीवनरम/अनाक
चूसकर श्रम रक्त जिसका, जगत में मधुरस बनाया,
एक-सी जिसको बनाई, सृजक ने भी धूप-छाया,
मनुष्यता
मनुजता के ध्वज तले, आह्वान उसका आज कर लूँ ।
उस कृषक का गान कर लूँ।
परिचय : दिनेश
रचनाएँ जमीन
आपकी रचनाव
मिट्टी की सुगं
कहानियाँ, की
की शोभा बढ़
कृतियाँ :
से तृप्ति त
एकात्म (
विश्व का पालक बन जो, अमर उसको कर
लास्का र रहा है।
किंतु अपने पालितों के, पद दलित हो मर रहा है,
आज उससे कर मिला, नव सृष्टि का निर्माण कर लूँ ।
उस कृषक का गान कर लूँ॥
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sorry I don't know the answer
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