उस नर्दि जब तुम आए थे,मेरा ह्रर्दय नकसी अज्ञात आशोंका से धड़क उठा था । अोंर्दर ही अोंर्दर
कहीों मेरा बिुआ काोंप गया । उसके बावजूर्द एक स्नेह भीगी मुस्कु राहि के साथ मैं तुमसे गिे नमिा
था और मेरी पत्नी िे तुम्हें सार्दर िमस्ते की थी । तुम्हारे सम्माि मेंअनतनथ हमिेरात के भयजि कय
एका-एकहमिेउच्च मध्यम वगि के नििर में बर्दि नर्दया था । तुम्हें स्मरण हयगा की र्दय सखिययों
और रायते के अिावा हमिे मीठा भी बिाया था । इस सारे उत्साह और िगि के मूि में एक आशा
थी । आशा थी नक र्दू सरे नर्दि नकसी रेि से एक शािर्दार मेहमाििवाजी की छाप अपिे ह्रर्दय
मेंनिएतुम चिे जाओगे।
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kisi ki karbi bat kho me kon sa alankar hai
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