उस्सी सिलसिला किस शेख के नाम पर रखा गया था??
HISTORY
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चिश्ती सिलसिला की स्थापना खुरासान में अबू इशाक ने की थी। भारत में चिश्तिया संप्रदाय के प्रथम संत शेख उस्मान के शिष्य शेख मुईनुद्दीन चिश्ती थे। उनकी कब्र अजमेर में है। और जनसाधारण इनको ख्वाजा के नाम से जानता था। ख्वाजा वेदान्त दर्शन व संगीत से काफी प्रभावित थे। हिन्दुओं के प्रति उदार दृष्टिकोण रखते थे। ख्वाजा का कहना था कि जब हम बाह्म बंधनों को पार कर जाते हैं और चारों ओर देखते हैं तो हमें प्रेमी-प्रेमिका और स्वयं प्रेम एक ही लगते हैं। अर्थात् एकेश्वर के समक्ष वे सभी एक है। इनके शिष्यों में शेख हमीउद्दीन और शेख बख्तियार काकी काफी लोकप्रिय थे। शेख हमीउद्दीन को ख्वाजा ने सुल्तान तारीकिन की उपाधि प्रदान की थी। शेख हमीउद्दीन गैर मुसलमानों के अध्यात्मिक गुणों को भी पहचान लेते थे और उनकी कद्र करते थे।कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी का जन्म भारत में हुआ था। वे पहले मुल्तान में बसे, फिर इल्तुतमिश के समय दिल्ली आ गये। उन्होंने शेख-उल-इस्लाम का पद ठुकरा दिया। बाद में माजमुद्दीन सुगरा (शेख-उल-इस्लाम) से संबंध बिगङ जाने पर अजमेर जाने का फैसला किया। शेख कुतुबुद्दीन रहस्यवादी गीतों के बङे प्रेमी थे। इनके शिष्यों में शेख फरीदुद्दीन मसूद गज-ए-शिकार अधिक प्रसिद्ध है। इन्हीं के प्रयासों से चिश्चिया सिलसिला एक अखिल रूप धारण किया। इनको जनसाधारण में शेख फरीद या बाबा फरीद के नाम से जाना गया। ये गुरुनानक से काफी प्रभावित थे।