Hindi, asked by atharvamore18, 1 year ago

२. उसी से ठंडा, उसी से गरम
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Answered by lakshaymadaan18
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जनतंत्र में “तंत्र” “जन” को कैसे बुद्धू बनाता है, इसका इग्जाम्पल संसद में एफडीआई की बहस के बहाने देश और दुनिया ने खुले आम देखा सुना। सपा और बसपा के दोहरे आचरण की सबने खबर ली। क्योंकि हमारे यहां “बहती गंगा में हाथ धोने” की प्रवृत्ति एक संस्कार के रूप में प्रतिष्ठित है। बावजूद इसके सपा, बसपा के चरित्र चिंतन को कोसने वाले लोग “फुलिश” हैं। क्योंकि इन दलों का बर्थ ही विशेष वर्ग को लेकर, विशेष तरह की राजनीति के लिए हुआ है और इसीलिए सत्ता का पत्ता उनके हाथ में ऑलवेज बना रहता है। अवसरवाद एक बड़ा राजनैतिक गुण है।

जिसकी भारतीय राजनीति में ऐतिहासिक पहचान अब जाकर दर्ज हो रही है। पर बड्डे तुम हो कि इसे दुर्गुण मानते हो और चाहते हो कि नेता अपने धवल वस्त्रों की तरह अपनी करतूतों में भी दिखें। दरअसल, देश पिछले 60 वर्षो से इसी मुगालते में रहा है कि हमें छोड़कर सभी लोग बेहद ईमानदार, स्वच्छ छवि के हों। बस यही चूक चिल्लपों की वजह बनती रही है।

बड्डे बड़बड़ाये बोले- आप भी पत्रकार होकर बेहूदा बात करते हो, कांग्रेस का समर्थन करने और न- नुकुर करने में विशेष वर्ग की बात कहां से आ गई। यह तो देश में एफडीआई को लेकर विरोध और समर्थन से उत्पन्न चिकचिक और किचकिच का मसला है। और फिर ये नेचुरल है कि जब दो या अधिक दल एक साथ रहेंगे तो दलदल होगा ही। यानी “तुम्ही से मोहब्बत तुम्ही से बेवफाई” जैसे हालात लाजिमी है। उधर सर्वविदित है कि सपा और बसपा दो धुरंधर पैदाईशी प्रतिद्वन्दी हैं। पर लोभ वश छत्तीस का आंकड़ा रखने के बावजूद दोनों कांग्रेस को साईकिल और हाथी पर बैठाने के लिए 24 घंटे तत्पर हैं। दोनों एक साथ सरकार का साथ नहीं छोड़ सकते, इसका इल्म सरकार को बाकायदा है और उसका यही कॉनफिडेंस एफडीआई को लाने के पीछे है। बड्डे बोले- बड़े भाई पर संसदीय भाषण में सरकार को गाली और वोटिंग में पप्पी। ये सब किसलिए। जब मुलायम सख्त होते हैं तो माया पिघल जाती हैं और जब माया सख्त तो फिर उनका नाम ही मुलायम है। बड्डे मैसेज बड़ा क्लियर है, जिसके दस पंद्रह सांसद होंगे वे ही सरकार की कार ड्राईव करेंगे। केजरीवाल ने इस सीक्रेट को समय रहते समझ बूझ के अन्ना से पल्ला झड़ लिया। क्योंकि “कुर्सी की गर्मी“ ये अंदर की बात है बड्डे। अरविंद ने अपने सरकारी पद का बलिदान जनता के लिए दिया था, तो अब जनता की रिस्पॉसिबिलिटी है कि वह उन्हें सरकारी पद के बदले, सरकार में पदासीन करे। केंद्र की सरकार, सपा और बसपा कार में “एसी” सिस्टम की तरह हैं। जब ठंडा हो तो ब्लोअर चलाओ और गरम हो तो कूलिंग यानी “उसी से ठंडा उसी से गरम“

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