Hindi, asked by ganghitlers, 9 months ago

उसी समय एक बाज़, जो कबूतर का पीछा कर रहा था, वहाँ आ पहुँचा और कहने लगा- “हे
राजन! यह पक्षी मेरा भोजन है। आप इसे मुझे दे दीजिए।"
राजा ने उत्तर दिया- “किंतु यह मेरा शरणागत है। शरणागत की रक्षा करना न केवल मेरा कर्तव्य
है, अपितु मेरा धर्म भी है। इसलिए मैं इसे तुम्हें नहीं सौंप सकता।
अब बाज़ ने पक्षी पर अपना अधिकार जताते हुए कहा- “यह मेरा प्राकृतिक आहार है। मैंने इसे
बहुत परिश्रम के बाद प्राप्त किया है। मुझे अपना भोजन करने से आपको नहीं रोकना चाहिए। इसे
मुझसे छीनने का आपको कोई अधिकार नहीं। क्या एक भूखे को उसके भोजन से दूर करना उचित
है? इससे पहले कि मैं भूखा मर जाऊँ, आप मुझे इस कबूतर को लौटा दीजिए।"
राजा बोले- “यदि तुम भूखे हो तो मैं तुम्हारे लिए किसी अन्य के मांस का प्रबंध कर देता हूँ। वह
इस छोटे से कबूतर के मांस से अधिक अच्छा रहेगा।"
“मैं किसी अन्य का मांस नहीं खाता। मेरा प्राकृतिक भोजन कबूतर है और मुझे वही मिलना चाहिए,
जो मुझे पसंद हो।” बाज़ ने उत्तर दिया।
“लेकिन कोई दूसरा भोजन भी तो होगा जो तुम्हें अच्छा लगता होगा। तुम उसका नाम लो जो तुम्हें
पसंद है, मैं वही तुम्हें दूँगा। तुम इस पक्षी को छोड़ दो।” राजा ने आग्रह किया।
“यदि इस कबूतर से तुम्हें इतना प्यार है, तो तुम इसके मांस के वजन के बराबर अपने शरीर से
मांस काटकर मुझे दे दो।
“ठीक है। तुम बहुत भले हो। जैसा तुमने कहा है, वैसा ही होगा।” यह कहकर राजा शिवि ने एक
तराजू
और एक तेज़ छुरा लाने की आज्ञा दे दी। तराजू के एक पलड़े में कबूतर को रखा और meaning in English​

Answers

Answered by yashjumale
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Answer:

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Answered by mk4971957
0

Answer:

tooooooooooo big question

Explanation:

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