Hindi, asked by kirti197710, 16 days ago

"उस समय वह सोच भी नहीं सकता था कि मनुष्य को दुख पहुँचाने के
अलावा भी साहित्य का कोई उद्देश्य हो सकता है।" लेखक ने ऐसा क्यों कहा?
आपके विचार से साहित्य के कौन-कौन से उद्देश्य हो सकते हैं?​

Answers

Answered by teckmsingh712
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Explanation:

शरतचंद्र को बाल अवस्था में साहित्य से कोई लगाव नहीं था। साहित्य कि रचनाएँ पढ़ना शरतचंद्र को बील्कुल अच्छा नहीं लगता था। मगर जब वो स्कूल जाते तो, उन्हें साहित्य ही पढ़ाया जाता था। उन्हें सीता वनवास, चारु पाठ, सद्भाव - सद्गुण, एवं प्रकांड व्याकरण जैसी साहित्य की किताबें पढ़ाई जाती थी। जो उन्हें बड़ा दुखदायी लगता था। गुरु जी द्वारा रोज़ परीक्षा लिए जाने पर उन्हें मार भी खानी पड़ती थी। इसलिए लेखक का ऐसा कथन कहने का यही कारण रहा होगा और मेरे विचार से साहित्य के कई उद्देश्य हो सकते हैं जो इस प्रकार हैं:

१: साहित्य पढ़ कर मनुष्य अपने ज्ञान को बढ़ा सकता है और उसे सोचने की नयी ऊर्जा मिलती है।

२: साहित्य मनोरंजन और समय व्यतीत करने का एक अच्छा साधन भी है।

३: साहित्य के माध्यम से हम अपने पुराने समय काल के बारे में भी काफी कुछ जान पाते है। साहित्य हमें हमारी पुरानी संस्कृति से भी अवगत कराता है।

४: साहित्य इंसान को अपने देश, गांव, और समाज को नजदीक से जानने में काफी मदद करता है। साहित्य के माध्यम से हमें समाज में फैली कुरीतियों के बारे में जानने का अवसर मिलता है, साहित्य से हमें अपने समाज की खूबियों के बारे में भी पता चलता है।

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