उस धूलभरी यात्रा में हालदार साहब को कोतुक और प्रफुलता के कुछ क्षण देने के लिए।।
भाव स्पष्ट करे। ---- पाठ - नेताजी का चश्मा ।
Answers
- नेताजी का चश्मा कहानी प्रकाश जी द्वारा लिखी गई है | थ एक प्रसिद कहानी है | लेखन ने इस कहानी में देश की भक्ति की भावना सभी नागरिकों में होनी चाहिए का वर्णन किया है |
- जब हालदार साहब ने उससे मूर्ति के चश्मे के बदलते रहने की बात पूछी तो उस समय उसके मुँह में पान था। हालदार ... एक बार जब कौतूहल दुर्दमनीय हो उठा तो पानवाले से ही पूछ लिया, क्यों भई! क्या ... हालदार साहब का प्रश्न सुनकर वह आँखों-ही-आँखों में हँसा।
उस धूलभरी यात्रा में हालदार साहब को कोतुक और प्रफुलता के कुछ क्षण देने के लिए।। भाव स्पष्ट करे। ---- पाठ - नेताजी का चश्मा ।
भाव ⦂ 'नेताजी का चश्मा' पाठ की इन पंक्तियों का आशय यह है कि हालदार साहब अक्सर उस कस्बे से गुजरा करते थे, जहाँ पर नेता जी की मूर्ति लगी थी। उन्हें नेताजी की मूर्ति पर रोज अलग-अलग चश्मे दिखाई देते थे। कभी गोल फ्रेम वाला चश्मा तो कभी धूप का चश्मा, कभी काले कांच का चश्मा तो कभी कांच के गौगल लगा हुआ चश्मा, कभी लाल कांच का बना चश्मा तो कभी चौकोर फ्रेम का चश्मा
तरह-तरह के चश्मे देखकर वह कुतूहल से जग जाते थे, लेकिन अपनी धूल भरे सफर में में सदा मूर्ति को निहारा करते थे और मूर्ति की सुंदरता के अलावा बदलते रहने वाले चश्मे की कुतूहलता उन्हें सदैव आनंदित करती थी और उनके मन में उत्सुकता जगाती थी।
'नेताजी का चश्मा' पाठ में लेखक ने एक कस्बे का वर्णन किया है, जहाँ पर नेता जी की मूर्ति लगी थी और उस मूर्ति पर पत्थर का चश्मा नहीं लगा था बल्कि सामान्य चश्मा लगा रहता था जो कि बदल जाया करता था। यह काम चश्मा बेचने वाला एक व्यक्ति करता था।
#SPJ3
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