Hindi, asked by dvkumar60, 5 months ago

उसकी मां और दादी कशीदाकारी करती थीं। वह उन्हें सुर में
रेशम पिरोने से लेकर बूटियां उकेरते डर देखती। न जाने कब उसने
कशीदाकारी करने की बान ली। यहां भी उसने अपने पैर के अंगों का
सहारा लिया। दोनों अंगों के बीच सुई थामकर कच्चा रेशम पिरोना
कोई आसान काम नहीं था। पर कहते न,जहाँ चाह वहाँराह उसके
विश्वास और बैर्य
कुदरत
को भी
झुठला
दिया।​

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Answered by parthBaghel
1

Answer:

? what is question?????

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