Hindi, asked by kritiku, 1 year ago

uses of rivers in hindi

Answers

Answered by coolbudy2
23
भारत की नदियों को चार समूहों में वर्गीकृत किया जा सकता है जैसे :- • हिमालय से निकलने वाली नदियाँ • दक्षिण से निकलने वाली नदियाँ • तटवर्ती नदियाँ • अंतर्देशीय नालों से द्रोणी क्षेत्र की नदियाँ हिमालय से निकलने वाली नदियाँ हिमालय से निकलने वाली नदियाँ बर्फ़ और ग्लेकशियरों के पिघलने से बनी हैं अत: इनमें पूरे वर्ष के दौरान निरन्तनर प्रवाह बना रहता है। मॉनसून माह के दौरान हिमालय क्षेत्र में बहुत अधिक वृष्टि होती है और नदियाँ बारिश पर निर्भर हैं अत: इसके आयतन में उतार चढ़ाव होता है। इनमें से कई अस्था यी होती हैं। तटवर्ती नदियाँ, विशेषकर पश्चिमी तट पर, लंबाई में छोटी होती हैं और उनका सीमित जलग्रहण क्षेत्र होता है। इनमें से अधिकांश अस्था्यी होती हैं। पश्चिमी राजस्थान के अंतर्देशीय नाला द्रोणी क्षेत्र की कुछ्‍ नदियाँ हैं। इनमें से अधिकांश अस्था।यी प्रकृति की हैं। हिमाचल से निकलने वाली नदी की मुख्य् प्रणाली सिंधु, गंगा, ब्रह्मपुत्र और मेघना नदी की प्रणाली की तरह है। सिंधु नदी विश्व की महान, नदियों में एक है, तिब्बत में मानसरोवर के निकट से निकलती है और भारत से होकर बहती है और तत्पदश्चांत् पाकिस्तान से हो कर और अंतत: कराची के निकट अरब सागर में मिल जाती है। भारतीय क्षेत्र में बहने वाली इसकी सहायक नदियों में सतलुज (तिब्बनत से निकलती है), व्यातस, रावी, चिनाब, और झेलम है। गंगा ब्रह्मपुत्र मेघना एक अन्यह महत्वेपूर्ण प्रणाली है जिसका उप द्रोणी क्षेत्र भागीरथी और अलकनंदा में हैं, जो देवप्रयाग में मिलकर गंगा बन जाती है। यह उत्तरांचल, उत्तर प्रदेश, बिहार और प.बंगाल से होकर बहती है। राजमहल की पहाडियों के नीचे भागीरथी नदी, जो पुराने समय में मुख्य नदी हुआ करती थी, निकलती है जबकि पद्भा पूरब की ओर बहती है और बांग्लादेश में प्रवेश करती है। ब्रह्मपुत्र ब्रह्मपुत्र तिब्बत से निकलती है, जहाँ इसे सांगणो कहा जाता है और भारत में अरुणाचल प्रदेश तक प्रवेश करने तथा यह काफ़ी लंबी दूरी तय करती है, यहाँ इसे दिहांग कहा जाता है। पासी घाट के निकट देबांग और लोहित ब्रह्मपुत्र नदी से मिल जाती है और यह संयुक्त नदी पूरे असम से होकर एक संकीर्ण घाटी में बहती है। यह घुबरी के अनुप्रवाह में बांग्लादेश में प्रवेश करती है। सहायक नदियाँ यमुना, रामगंगा, घाघरा, गंडक, कोसी, महानदी, और सोन; गंगा की महत्वrपूर्ण सहायक नदियाँ है। चंबल और बेतवा महत्वयपूर्ण उप सहायक नदियाँ हैं जो गंगा से मिलने से पहले यमुना में मिल जाती हैं। पद्मा और ब्रह्मपुत्र बांग्लादेश में मिलती है और पद्मा अथवा गंगा के रुप में बहती रहती है। भारत में ब्रह्मपुत्र की प्रमुख सहायक नदियाँ सुबसिरी, जिया भरेली, घनसिरी, पुथिभारी, पागलादिया और मानस हैं। बांग्लादेश में ब्रह्मपुत्र तिस्तं आदि के प्रवाह में मिल जाती है और अंतत: गंगा में मिल जाती है। मेघना की मुख्यह नदी बराक नदी मणिपुर की पहाडियों में से निकलती है। इसकी महत्वमपूर्ण सहायक नदियाँ मक्कू , ट्रांग, तुईवई, जिरी, सोनई, रुक्वी , कचरवल, घालरेवरी, लांगाचिनी, महुवा और जातिंगा हैं। बराक नदी बांग्लाुदेश में भैरव बाज़ार के निकट गंगा-‍ब्रह्मपुत्र के मिलने तक बहती रहती है। दक्षिण क्षेत्र से निकलने वाली नदियाँ दक्कन क्षेत्र में अधिकांश नदी प्रणालियाँ सामान्य त पूर्व दिशा में बहती हैं और बंगाल की खाड़ी में मिल जाती हैं। गोदावरी, कृष्णा , कावेरी, महानदी, आदि पूर्व की ओर बहने वाली प्रमुख नदियाँ हैं और नर्मदा, ताप्तीी पश्चिम की बहने वाली प्रमुख नदियाँ है। दक्षिणी प्रायद्वीप में गोदावरी दूसरी सबसे बड़ी नदी का द्रोणी क्षेत्र है जो भारत के क्षेत्र 10 प्रतिशत भाग है। इसके बाद कृष्णाा नदी के द्रोणी क्षेत्र का स्था्न है जबकि महानदी का तीसरा स्थाहन है। डेक्करन के ऊपरी भूभाग में नर्मदा का द्रोणी क्षेत्र है, यह अरब सागर की ओर बहती है, बंगाल की खाड़ी में गिरती हैं दक्षिण में कावेरी के समान आकार की है और परन्तुै इसकी विशेषताएँ और बनावट अलग है। तटवर्ती नदियाँ भारत में कई प्रकार की तटवर्ती नदियाँ हैं जो अपेक्षाकृत छोटी हैं। ऐसी नदियों में काफ़ी कम नदियाँ-पूर्वी तट के डेल्टाँ के निकट समुद्र में मिलती है, जबकि पश्चिम तट पर ऐसी 600 नदियाँ है। राजस्थान में ऐसी कुछ नदियाँ है जो समुद्र में नहीं मिलती हैं। ये खारे झीलों में मिल जाती है और रेत में समाप्तऐ हो जाती हैं जिसकी समुद्र में कोई निकासी नहीं होती है। इसके अतिरिक्त कुछ मरुस्थमल की नदियाँ होती है जो कुछ दूरी तक बहती हैं और मरुस्थहल में लुप्तत हो जाती है। ऐसी नदियों में लुनी और मच्छक, स्पेहन, सरस्वपती, बानस और घग्गषर जैसी अन्यद नदियाँ हैं।
Answered by tiger009
12

नदियाँ!

मानव सभ्यता और विकास का सबसे सुदृढ़ संबल,बल्कि रीढ़ की हड्डी कहें तो अधिक उचित होगा।नदियाँ हमे शुद्ध और ताजा पानी देती है,जो हमारे अनेकानेक दैनिक आवश्यकताओं और कार्यों की पूर्ति करता है।जैसे खाना बनाना,पीने के काम आना,नहाना,कपडे धोना इत्यादि।यदि नदियाँ ना हों तो हमारे जीवन को विराम लग जाएगा,मानव जीवन का आधार ही नदियाँ हैं।नदियों का स्वाभाविक गुण है बिना रुके निरंतर बहना।नदियों के तट पर कई मानव सभ्यताओं ने जन्म लिया है,चाहे वह सिन्धु-घाटी सभ्यता हो या नील-घाटी सभ्यता या अन्य कोई भी सभ्यता।किसी भी सभ्यता का स्वाभाविक रूप से किसी ना किसी नदी के साथ आरम्भ होने और उसके विकसित होने का मुख्य कारण है,नदी के आसपास के मैदानी भाग  का उपजाऊ होना,जो खेती के लिए सर्वाधिक उपयुक्त होती है।यातायात के संसाधन और मार्ग के रूप में भी नदियों की ही अहम् भूमिका होती थी।आज भी कई गाँव और शहर नदियों पर निर्भर हैं और नदियों के किनारे ही बसे हैं।

किन्तु आज विकास और औद्योगीकरण की अंधी दौड़ में नदियों का भविष्य ही अंधकार में हैं,कल-कारखानों और महानगरों का ज़हरीला कचरा नदियों में उत्सर्जित होने से उसके जल के साथ-साथ जल-जीव भी दूषित होते जा रहे हैं।आवश्यकता है हम सबको जागरूक होने और नदियों के संरक्षण के प्रति समर्पित और गंभीर होने की।हमे ये मानना होगा कि नदियाँ आज भी हमारी जीवन-धारा हैं,नदियों को माँ और देवी मानने वाले इस देश में कुछ सपूतों की आवश्यकता है।आइये!नदियों का मान रखें।

Similar questions