Usha priyamvada ki bhasha shaili
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उषाजी की लेखन शैली में सहजता और मौलिकता है | उनका सूक्ष्म निरीक्षण तथा विस्तृत अनुभव ही गहरी संवेदना के रूप में उनकी कृतियों में अभिव्यक्त और प्रतिध्वनित हुआ है।
उषा प्रियंवदा सूक्ष्म मनोभावों की कथाकार हैं, उनके पात्र, स्वच्छता और शांति से अनुभवों और जीवन की उन गलियों में प्रवेश करते हैं, जहाँ से गुजरना हर किसी के लिए विलक्षण अनुभूति होता है ।
उषाजी की लेखन शैली की यह सजीवता और विचित्र प्रसंगों की सटीक एवं अनुभूतिप्रवण चित्रात्मकता के कारण ही हर वर्ग के पाठक ने उनके कथासाहित्य से तादात्म्य स्थापित किया है | उनके कथासाहित्य में आधुनिकता की ओट में छिपी हुई ऊब और छटपटाहट का यथायोग्य चित्रण प्राप्त होता है |
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