उषा को केवल यही मिठाई पसंद थी
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➲ उषा को केवल चाकलेट और बंगाली मिठाई ही पसंद थी।
व्याख्या ⦂
✎... उषा को मिठाई के नाम पर चाकलेट और बंगाली मिठाई ही पसंद थी।
‘उषा की दीपावली’ कहानी एक ऐसी कहानी है। जिसमें उषा नाम की एक बालिका है उषा को खाने-पीने की बाजारू वह चीजें पसंद है।
उसे घर पर बने खाने के प्रति अरुचि है। लेकिन एक दिन जब वह ये देखती कि उसके घर में सफाई करने वाला बबन नाम का लड़का आटे के बुझे हुए दीपकों को इकट्ठा कर रहा है तो जब उसने बबन से इस बारे में पूछा तो उसने बताया कि वह आटे के इन दीपों को आग पर सेक कर उन्हें खाएगा। तब उषा को बेहद अफसोस होता है। वह सोचती है कि जहाँ वह खाने के लिए इतनी नखरे करती है और कई लोग खाने से भरी प्लेटें कचरे के डिब्बे में डाल देते हैं। वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो अन्न के एक-एक जाने के लिए तरसते हैं। वह बबन के प्रति दया भरे भाव से द्रवित हो जाती है और अपने घर में बने दीपावली के पकवानों की थैली लाकर भवन को दे देती है।
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