'उषा की दीपावली' लघुकथा द्वारा प्राप्त संदेश लिखिए।
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‘उषा की दीपावली’ लघुकथा संतोष श्रीवास्तव द्वारा लिखी गई एक मर्मस्पर्शी कहानी है। इस लघु कथा के माध्यम से यह संदेश देने का प्रयत्न किया गया है कि दीपावली या अन्य किसी बड़े त्यौहार पर बेकार की फिजूल खर्ची से बचना चाहिए। गरीबों के प्रति संवेदनशील होने चाहिये।
व्याख्या :
संसार में ऐसे भी अनेक लोग हैं, जिन्हें एक समय का भरपेट खाना भी नसीब नहीं होता और वहीं कुछ लोग ऐसे हैं जो त्योहारों पर दिखावे के नाम अन्न और धन की बर्बादी करते हैं। बचा हुआ खाना कूड़ेदान में फेंक दिया जाता है, जबकि बबन जैसे गरीब व्यक्ति हैं, जिन्हें एक समय का भरपेट खाना भी नही मिल पाता।
इस लघु कथा के मुख्य पात्रा उषा नाम की एक छोटी लड़की है, जिसके खाने-पीने में अनेक नखरे हैं। उसे बाहर की चीजें बेहद पसंद है, लेकिन एक दिन जब अपने घर में सफाई करने वाले बबन को छोटी दीपावली पर जलाए गए आटे के दिए कचरे के डिब्बे में नही डाल कर अपनी जेब में रखते हुए देख लेती है और उसे यह पता चलता है कि यह आटे के दिये आग पर सेंककर वह अपने पेट की भूख मिटाना चाहता है। उषा को सब पता चलता है तो वह द्रवित हो उठती है। वह अपने घर से ढेर सारा खाना लाकर बबन को देती है। यह कहानी हमें गरीबों के प्रति संवेदनशील होने और त्योहारों आदि पर फिजूखर्ची और व्यर्थ का दिखावा न करने का संदेश देती है।