उषा कविता मैं गांव की शोभा कैसी बताई गई
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उषा कविता मैं गांव की शोभा कैसी बताई गई :
उषा कविता कवि शमशेर बहादुर सिंह जी द्वारा लिखी गई है | कविता में उषा काल के नभ तक का बहुत अच्छे से वर्णन किया है |
व्याख्या :
कविता में गाँव की उगते हुए सूरज से , छोटी-रंगीन सुंदरता का वर्णन किया है | गाँव की वह शुद्द वातावरण वाली सुबह देखने को मिलती है | जैसे आसमान में बादल रंग बदलता है , वैसे गाँव के घर भी दिखाई देते है | आसमान का रंग राख जैसा दिखाई दे रहा है | आसमान की तरह चूल्हा भी राख से लीपा हुआ है | ऐसा लग रहा वातावरण अभी नम है | गाँव की सुबह में शुद्दता दिखाई देती है |
गाँव में सील है , रसोई में राख से लीपा हुआ चूल्हा , स्लेट की कालिमा , रंग-बिरंगे काम करने वाले है दिखाई देते है |
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Usha Kavita mein gaon ki shobha kaise badhate ja rahe hain
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