उषा कविता में किसका वर्णन है?
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उषा कविता सूर्योदय के ठीक पहले के पल - पल परिवर्तित प्रकृति का शब्द चित्र हैं . ... इसीलिए वह सूर्योदय के साथ एक जीवंत परिवेश की कल्पना करता है जो गाँव की सुबह से जुड़ता है - वहां सिल है ,राख से लीपा हुआ चौका है और है स्लेट की कालिमा पर चाक से रंग मलते अदृश्य बच्चों के नन्हे हाथ|
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