Hindi, asked by hema3721, 6 months ago

Using कॉफ़ी sentences in Hindi

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Answered by amber1234
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Explanation:

समय' निरंतर बीतता रहता है, कभी किसी के लिए नहीं ठहरता। जो व्यक्ति समय के मोल को पहचानता है, वह अपने जीवन में सफलता प्राप्त करता है। समय बीत जाने पर किए गए कार्य का कोई फल प्राप्त नहीं होता और पश्चाताप के अतिरिक्त कुछ हाथ नहीं आता। जो विद्यार्थी सुबह समय पर उठता है, अपने दैनिक कार्य समय पर करता है तथा समय पर सोता है, वही आगे चलकर सफल व उन्नत व्यक्ति बन पाता है। जो व्यक्ति आलस में आकर समय गँवा देता है, उसका भविष्य अंधकारमय हो जाता है। संतकवि कबीरदास जी ने भी अपने दोहे में कहा है -

''काल करै सो आज कर, आज करै सो अब।मित्र के जन्म दिन का उत्सव

मेरे मित्र रोहित का जन्म-दिन था। उसने अन्य मित्रों के साथ मुझे भी बुलाया। रोहित के कुछ रिश्तेदार भी आए हुए थे, किन्तु अधिकतर मित्र ही उपस्थित थे। घर के आँगन में ही समारोह का आयोजन किया गया था। उस स्थान को बहुत ही सुंदर ढंग से सजाया गया था। हर जगह झण्डियाँ और गुब्बारे थे। आँगन में लगे एक पेड़ पर रंग-बिरंगे बल्ब जगमग कर रहे थे। जब मैं पहुँचा तो मेहमान आने शुरू ही हुए थे। मेहमान रोहित के लिए कोई-न-कोई उपहार लेकर आते, उसके निकट जाकर बधाई देते और रोहित उनका धन्यवाद करता। क्रमशः लोग छोटी-छोटी टोलियों में बैठकर गपशप करने लगे। संगीत की मधुर ध्वनियाँ गूँज रही थी। एक-दो मित्र उठकर नृत्य करने लगे। कुछ मित्र तालियों बजा कर अपना योगदान देने लगे। चारों ओर उल्लास का वातावरण था।

सात बजे के लगभग केक काटा गया। सब मित्रों ने तालियाँ बजाई और मिलकर जन्मदिन की बधाई का गीत गाया। माँ ने रोहित को केक खिलाया। अन्य लोगों ने भी केक खाया। फिर सभी खाना खाने लगे। खाने में अनेक प्रकार की मिठाइयाँ और नमकीन थे। तब हमने रोहित को एक बार फिर बधाई दी, उसकी दीर्घायु की कामना की और अपने-अपने घर को चल दिए। वह कार्यक्रम इतना अच्छा था कि अब भी स्मरण हो आता है।

अभ्यास का महत्त्व

यदि निरंतर अभ्यास किया जाए, तो किसी भी कठिन कार्य को किया जा सकता है। ईश्वर ने सभी मनुष्यों को बुद्धि दी है। उस बुद्धि का इस्तेमाल तथा अभ्यास करके मनुष्य कुछ भी सीख सकता है। अर्जुन तथा एकलव्य ने निरंतर अभ्यास करके धनुर्विद्या में निपुणता प्राप्त की। उसी प्रकार वरदराज ने, जो कि एक मंदबुद्धि बालक था, निरंतर अभ्यास द्वारा विद्या प्राप्त की और ग्रंथों की रचना की। उन्हीं पर एक प्रसिद्ध कहावत बनी -

''करत-करत अभ्यास के, जड़मति होत सुजान।

रसरि आवत जात तें, सिल पर परत निसान।।''

यानी जिस प्रकार रस्सी की रगड़ से कठोर पत्थर पर भी निशान बन जाते हैं, उसी प्रकार निरंतर अभ्यास से मूर्ख व्यक्ति भी विद्वान बन सकता है। यदि विद्यार्थी प्रत्येक विषय का निरंतर अभ्यास करें, तो उन्हें कोई भी विषय कठिन नहीं लगेगा और वे सरलता से उस विषय में कुशलता प्राप्त कर सकेंगे।

कहा भी गया है कि,"परिश्रम ही सफलता की कुँजी है।"If you look at what you have in life, you'll always have more. If you look at what you don't have in life, you'll never have enough."

Answered by vivekkumargupta29
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Mujhe coffee pasand hai ....

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