उत्क्रमनिय एवं अनुत्क्रमनिय प्रक्रम में अंतर लिखीए
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Explanation:
उत्क्रमणीय प्रक्रम (reversible process)
ऐसा प्रक्रम जिसे उल्टा या उत्क्रमणित करने पर वे सभी परिवर्तन विपरीत क्रम में वैसे ही संपन्न हो जैसे प्रक्रम को सीधा चलने पर संपन्न हो रहे थे उसे उत्क्रमणीय प्रक्रम कहते है।
जब किसी निकाय को अंतिम स्थिति से प्रारंभिक स्थिति की तरफ चलाया जाता है और यदि निकाय की ऊष्मागतिकी गुणों में कोई परिवर्तन न हो तो इसे उत्क्रमणीय प्रक्रम कहते है।
माना कोई निकाय स्थिति A से B में परिवर्तित हो रहा है यदि अब स्थिति B से A में परिवर्तित किया जाए और इसके परिवेश में कोई परिवर्तन न हो तो इस प्रकार के प्रक्रम को उत्क्रमणीय प्रक्रम कहते है।
इसमें निकाय का ताप नियत रखा जाता है।
निकाय की एन्ट्रापी का मान नियत रखा जाता है।
यह एक रुद्धोष्म प्रक्रम है।
उत्क्रमणीय प्रक्रम के उदाहरण
1. ऊष्मा को अवशोषित कर बर्फ का पानी में बदलना तथा कुछ ऊष्मा को उत्सर्जित कर पानी का बर्फ में बदलना।
2. धीरे धीरे संपन्न होने वाली वाष्पन तथा संघनन प्रक्रिया।
अनुत्क्रमणीय प्रक्रम ( irreversible process)
इन्हें प्राकृतिक प्रक्रम भी कहते है क्योंकि प्रकृति में जितने भी प्रक्रम संपन्न होते है वे सभी अनुत्क्रमणीय होते है।
अत: जो प्रक्रम उत्क्रमणीय नहीं होते है उन्हें अनुत्क्रमणीय प्रक्रम कहते है।
ये सभी प्रक्रम निकाय की दो स्थितियों के मध्य ढाल या अंतर के कारण होता है जैसे जब दो वस्तुओं में ताप का अंतर होता है तो ऊष्मा उच्च से निम्न की तरफ जाती है ठीक इसी प्रकार पानी की गति उच्च से निम्न की तरफ होती है।
यहाँ इसका उल्टा संभव नहीं है क्योंकि प्राकृतिक रूप से ऐसा नहीं होता है।