उत्प्रेक्षा अलंकार उदाहरण स्पष्टीकरण सोहत ओढ़े पीत पट स्याम सलोने गात मनु नीलबड़ सेल पर आता परे प्रभात
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इस लेख में उत्प्रेक्षा अलंकार की समस्त जानकारी निहित है। उत्प्रेक्षा अलंकार की परिभाषा, उदाहरण तथा प्रश्न उत्तर को पढ़कर आप समस्त जानकारी हासिल करेंगे।
यह लेख विद्यार्थियों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। उनके कठिनाई स्तर की पहचान करते हुए सरल शब्दों में प्रस्तुत करने का प्रयत्न किया गया है। इसके अध्ययन से आप परीक्षा में सर्वाधिक अंक प्राप्त कर सकते हैं।
उत्प्रेक्षा अलंकार की परिभाषा, पहचान, प्रश्न उत्तर और उदाहरण
अलंकार काव्य की शोभा को बढ़ाने का कार्य करते हैं। अलंकारों के प्रयोग से काव्य की सुंदरता बढ़ती है उसमें चमत्कार उत्पन्न होता है। अलंकार मुख्य रूप से दो प्रकार के माने गए हैं शब्दालंकार तथा अर्थालंकार। उत्प्रेक्षा अलंकार अर्थालंकार के अंतर्गत आता है।
उत्प्रेक्षा अलंकार की परिभाषा :- जहां रूप गुण आदि समान प्रतीत होने के कारण उपमेय में उपमान की संभावना या कल्पना की जाए और उसे व्यक्त करने के लिए मनु , मानो , जानो , जनु ,ज्यों आदि वाचक शब्दों का प्रयोग किया जाए , वहां उत्प्रेक्षा अलंकार माना जाता है।
उत्प्रेक्षा का शाब्दिक अर्थ है ‘देखने की उत्कट इच्छा’। जिस वाक्य में उपमेय और उपमान भिन्न होने पर भी समानता का भाव उत्पन्न करता है वहां उत्प्रेक्षा अलंकार माना जाता है।
सोहत ओढ़े पीत पट स्याम सलोने गात। मनहुं नीलमनि सैल पर, आपत परयौ प्रभात। पंक्ति में उत्प्रेक्षा अलंकार होता है। उपर्युक्त काव्य-पंक्तियों में श्रीकृष्ण के सुन्दर श्याम शरीर में नीलमणि पर्वत की ओर उनके शरीर पर शोभायमान पीताम्बर में प्रभत की धूप की मनोरम सम्भावना अथवा कल्पना की गई है।
उत्प्रेक्षा अलंकार की परिभाषा – जहां उपमेय में उपमान की संभावना अथवा कल्पना कर ली गई हो, वहां उत्प्रेक्षा अलंकार होता है। इसके बोधक शब्द हैं– मनो, मानो, मनु, मनहु, जानो, जनु, जनहु, ज्यों आदि। सामान्य हिंदी प्रश्न पत्र में उत्प्रेक्षा अलंकार संबंधी प्रश्न पूछे जाते है। इसलिए यह प्रश्न आपके लिए कर्मचारी चयन आयोग, बीएड, आईएएस, सब इंस्पेक्टर, पीसीएस, बैंक भर्ती परीक्षा, समूह 'ग' आदि प्रतियोगी परीक्षाओं के अलावा विभिन्न विश्वविद्यालयों की प्रवेश परीक्षाओं के लिए भी उपयोगी साबित होगें।
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