Hindi, asked by tooofreeee, 1 year ago

उत्पादकता और स्थिरता के लिए वर्तुलाकार अर्थव्यवस्था के ऊपर निबंध

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Answered by arjun7774
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✍️आर्थिक गतिविधि का परिपत्र प्रवाह एक मॉडल है जो एक बाजार अर्थव्यवस्था के भीतर बुनियादी आर्थिक संबंधों को दर्शाता है। यह हमारी अर्थव्यवस्था में इंजेक्शन और रिसाव के बीच संतुलन को दिखाता है। आधे मॉडल में इंजेक्शन शामिल हैं, और आधे मॉडल में रिसाव शामिल हैं। सर्कुलर फ्लो मॉडल से पता चलता है कि पैसा कहाँ जाता है और इसके बदले क्या मिलता है। मॉडल में घर, व्यवसाय और सरकारें शामिल हैं। हमारे पास बैंकिंग प्रणाली भी है जो पैसे के आदान-प्रदान की सुविधा देती है और जैसा कि हम एक मिनट में देखेंगे, अर्थव्यवस्था को विकसित करने के लिए बचत को निवेश में बदलने में मदद करता है। अर्थव्यवस्था के परिपत्र प्रवाह में, धन का उपयोग वस्तुओं और सेवाओं की खरीद के लिए किया जाता है। वस्तुओं और सेवाओं का अर्थव्यवस्था में एक दिशा में प्रवाह होता है जबकि पैसा विपरीत दिशा में बहता है।

उत्पादन के कारकों में भूमि, श्रम, पूंजी और उद्यमशीलता शामिल हैं। उत्पादन के इन कारकों के अनुरूप मूल्य किराए, मजदूरी और लाभ हैं। घरों में लोग अपनी असीमित आवश्यकताओं और इच्छाओं को पूरा करने के प्रयास में व्यवसायों से सामान और सेवाएँ खरीदते हैं। परिवार अपनी आय के बदले में अपने श्रम, भूमि और पूंजी को भी बेचते हैं जिसका उपयोग वे वस्तुओं और सेवाओं को खरीदने के लिए करते हैं जो फर्मों का उत्पादन करती हैं। व्यवसाय सामान और सेवाओं को घरों में बेचते हैं, राजस्व कमाते हैं और मुनाफा कमाते हैं। व्यवसाय भी उत्पादन के अपने कारकों के उपयोग के बदले में घरों में मजदूरी, ब्याज और मुनाफे का भुगतान करते हैं। सरकारें सभी को निश्चित लाभ प्रदान करने के लिए घरों और व्यवसायों पर कर लगाती हैं।✔️✔️

Answered by mathsdude85
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उत्तर :

                   उत्पादकता और स्थिरता के लिए वर्तुलाकार अर्थव्यवस्था    

वर्तुलाकार अर्थव्यवस्था(circular economy) में वस्तुओं को इस प्रकार डिजाइन किया जाता है उसका पुनः प्रयोग(Reuse)  और पुन: चक्रण (Recycle)हो सके। इस अर्थव्यवस्था में नई वस्तु के लिए कच्चा माल पुरानी वस्तु से ही प्राप्त की जाती है और जितना संभव हो सकता है वस्तु को पुनः प्रयोग कर दोबारा बनाया जाता है।

अगर हम भारतीय इस वर्तुलाकार अर्थव्यवस्था के सिद्धांतों को अपनाते हैं तो हम इस अर्थव्यवस्था के द्वारा पैसा बचा सकते हैं और कई गुना पैसा कमा सकते हैं। इस अर्थव्यवस्था से वस्तुओं को बनाने में लगने वाली लागत भी कम लगती है और प्रदूषण को भी नियंत्रित करता है।

3R’s का वर्तुलाकार अर्थव्यवस्था में बहुत अधिक महत्व है। 3R’s जैसे कम उपयोग, पुनः प्रयोग और पुन: चक्रण । पुनर्चक्रण में प्लास्टिक ,कागज , धातु की वस्तुएं तथा ऐसे पदार्थों को पुन: चक्रण करके उपयोगी वस्तुओं को तैयार करना जैसे अखबार का कागज प्लास्टिक के कप आदि। पुनः उपयोग यह पुन: चक्रण से भी अच्छा तरीका है क्योंकि पुन: चक्रण में कुछ ऊर्जा खर्च होती है । पुनः उपयोग के तरीके में किसी भी वस्तु का बार-बार उपयोग किया जा सकता है। जैसे विभिन्न खाद्य पदार्थों की पैकिंग में प्रयुक्त प्लास्टिक की बोतलें , डिब्बे आदि का पुनः उपयोग , रसोई घर में अन्य खाद्य पदार्थों को रखने में किया जा सकता है।

3R’s को बढ़ावा देने के लिए हमें उद्योगों की पहल करनी चाहिए जैसे - इको फ्रेंडली सैनिटरी नैपकिन, बायोडिग्रेडेबल शापिंग बैग, औद्योगिक कचरे से बनी फ्लाई ऐश ब्रिक्स (ash bricks) आदि।

वर्तुलाकार अर्थव्यवस्था में हम 3R’s के के द्वारा जल प्रदूषण को बहुत कम कर सकते हैं जैसे पुनः प्राप्त और पुनः प्रयोग के द्वारा गंदे पानी की गुणवत्ता को बनाए रखना, भूमि प्रदूषण रोक सकते हैं, वायु प्रदूषण से बचाव कर सकते हैं ,समुंद्री परिस्थितिक तंत्र की रक्षा कर सकते हैं।

आशा है कि यह उतर आपकी मदद करेगा।।।

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