उत्पत्ति के आधार पर शब्दों का वगीर्करण कीजिए
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उत्पत्ति के आधार पर शब्द-भेद
शब्दों की उत्पत्ति अथवा उद्गम स्रोत के आधार पर उन्हें 4 भागों में बांटा गया है|
(1) तत्सम शब्द
(2) तद्भव शब्द
(3) देशज शब्द
(4) विदेशी शब्द
(1) तत्सम शब्द
हिंदी का विकास संस्कृत या संस्कृत से उत्पन्न भाषाओं द्वारा हुआ है ,इसलिए वे शब्द जो मूल रूप से संस्कृत के हैं और हिन्दी में भी अपने मूल रूप में ही प्रयुक्त होते हैं | 'तत्' अर्थात उसके 'सम' अर्थात समान तत्सम शब्द कहलाते हैं |
दधि,क्षेत्र,हस्ती,कंटक,सर्प,लक्ष,रात्रि,वधू,क्षीर,शाक,आदि शब्द
तद्भव शब्द
वे शब्द जो संस्कृत से हिन्दी में आये परन्तु धीरे-धीरे परिवर्तित हो गये | ऐसे शब्दों को तद्भव शब्द कहते हैं | जैसे -
दधि से दही क्षेत्र से खेत
हस्ती से हाथी कंटक से काँटा
सर्प से साँप लक्ष से लाख
रात्रि से रात वधू से बहू
क्षीर से खीर शाक से साग आदि
(3) देशज शब्द
वे शब्द जो हिन्दी में क्षेत्रीय बोलियों एवम भाषाओं से आये हैं, देशज शब्द कहलाते हैं | जैसे -
हांड़ी ,खटखटाना,खूंटा,पगड़ी ,खिड़की,डिबिया आदि शब्द |
(4) विदेशी शब्द
समयांतर में आई कई विदेशी जातियों के प्रभाव से हिन्दी भाषा में अनेकों विदेशी भाषा के शब्दों का समावेश हो गया है, उन शब्दों को विदेशी शब्द कहा जाता है |
अंग्रेजी- कॉलेज,पेंसिल,रेडियो,टेलीविजन,डॉक्टर,टिकट,मशीन,
सिगरेट, साइकिल,स्टेशन,मास्टर,स्कूल आदि शब्द |
फारसी-अनार,चश्मा,जमींदार,दुकान,नमक,नमूना,बीमार,रूमाल, क़िताब,ज़मीन,आदि शब्द |
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Answer:
शब्द की परिभाषा- एक या अधिक वर्णों से बनी हुई स्वतंत्र सार्थक ध्वनि शब्द कहलाता है। जैसे- एक वर्ण से निर्मित शब्द-न (नहीं) व (और) अनेक वर्णों से निर्मित शब्द-कुत्ता, शेर,कमल, नयन, प्रासाद, सर्वव्यापी, परमात्मा।
Explanation:
शब्द-भेद
उत्पत्ति के आधार पर शब्द-भेद-
उत्पत्ति के आधार पर शब्द के निम्नलिखित चार भेद हैं-
1. तत्सम- जो शब्द संस्कृत भाषा से हिन्दी में बिना किसी परिवर्तन के ले लिए गए हैं वे तत्सम कहलाते हैं। जैसे-अग्नि, क्षेत्र, वायु, रात्रि, सूर्य आदि।
2. तद्भव- जो शब्द रूप बदलने के बाद संस्कृत से हिन्दी में आए हैं वे तद्भव कहलाते हैं। जैसे-आग (अग्नि), खेत(क्षेत्र), रात (रात्रि), सूरज (सूर्य) आदि।
3. देशज- जो शब्द क्षेत्रीय प्रभाव के कारण परिस्थिति व आवश्यकतानुसार बनकर प्रचलित हो गए हैं वे देशज कहलाते हैं। जैसे-पगड़ी, गाड़ी, थैला, पेट, खटखटाना आदि।
4. विदेशी या विदेशज- विदेशी जातियों के संपर्क से उनकी भाषा के बहुत से शब्द हिन्दी में प्रयुक्त होने लगे हैं। ऐसे शब्द विदेशी अथवा विदेशज कहलाते हैं। जैसे-स्कूल, अनार, आम, कैंची,अचार, पुलिस, टेलीफोन, रिक्शा आदि। ऐसे कुछ विदेशी शब्दों की सूची नीचे दी जा रही है।
अंग्रेजी- कॉलेज, पैंसिल, रेडियो, टेलीविजन, डॉक्टर, लैटरबक्स, पैन, टिकट, मशीन, सिगरेट, साइकिल, बोतल आदि।
फारसी- अनार,चश्मा, जमींदार, दुकान, दरबार, नमक, नमूना, बीमार, बरफ, रूमाल, आदमी, चुगलखोर, गंदगी, चापलूसी आदि।
अरबी- औलाद, अमीर, कत्ल, कलम, कानून, खत, फकीर, रिश्वत, औरत, कैदी, मालिक, गरीब आदि।
तुर्की- कैंची, चाकू, तोप, बारूद, लाश, दारोगा, बहादुर आदि।
पुर्तगाली- अचार, आलपीन, कारतूस, गमला, चाबी, तिजोरी, तौलिया, फीता, साबुन, तंबाकू, कॉफी, कमीज आदि।
फ्रांसीसी- पुलिस, कार्टून, इंजीनियर, कर्फ्यू, बिगुल आदि।
चीनी- तूफान, लीची, चाय, पटाखा आदि।
यूनानी- टेलीफोन, टेलीग्राफ, ऐटम, डेल्टा आदि।
जापानी- रिक्शा आदि।