उत्साह' किस रस का स्थायी भाव है ?
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उत्साह' किस रस का स्थायी भाव है ?
उत्साहा वीर रस का स्थाई भाव है।
वीर रस किसी काव्य में वहां प्रकट होता है, जब शत्रु से युद्ध करने में अथवा किसी वीरता पूर्वक कार्य करने में, असहाय या कमजोरों का उद्धार करने में अथवा धर्म का उद्धार करने में ही उत्साह का भाव मन में उमड़ता है। वह वीर रस होता है। वीर रस का स्थाई भाव उत्साह होता है। ऐसी कविता जिसे सुनकर चित्त की वृत्ति जागृत हो जाए वह वीर रस से भरी कविता होती है।
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