उत्सवे व्यसने चैव दुर्भिक्षे राष्ट्रविप्लवे।
राजद्वारे श्मशाने च यः तिष्ठति सः बान्धवः
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Explanation:
जो किसी उत्सव में, बुरे समय में , दुर्भिक्ष (अकाल ) के समय, किसी शत्रु के द्वारा उत्पन्न संकट के समय, राजद्वार में तथा श्मशान में साथ होता है वह बंधु होता है
श्लोक का अर्थ-
एक व्यक्ति जो किसी समारोह या त्योहार के दौरान किसी प्रकार के व्यसन (जुआ ,शराब आदि) में लिप्त होने पर अकाल में दुश्मन से खतरे का सामना करते हुए । राजा के दरबार (सरकारी कार्यालयों) में आपके साथ रहता है। एक श्मशान (या एक कब्रिस्तान) में वह आपके दोस्त या करीबी रिश्तेदार के समान है।
मित्र वही होता है, जो अकाल समय में, उत्सव में, राज दरबार में और श्मशान में हमेशा साथ देता है वही असली संबंधी या मित्र होते हैं।
व्यासने का अर्थ - किसी वयस्क व्यसन जैसे युवा मध्य पान आदि में लिप्त रहते हुए।
प्रपते से तात्पर्य है - प्राप्त
दुर्भिक्षे का अर्थ है -अकाल
शंत्रुसंकते - शत्रु + संकेत
शत्रु - शत्रु
संकते – से खतरा
राजद्वारे – राजा के द्वार पर
स्मशाने – श्मशान, कब्रिस्तान ।
चा का अर्थ – और
यष्टिष्ठति – य: + तिष्ठति।
य:- जो भी।
तिष्ठति – रहता है
स – वह।
बांधव: – संबंधी , एक मित्र
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