उत्तल दर्पण में प्रतिबिम्ब किस प्रकार का बनता है ? किरण आरेख खींचकर दर्शाइए ।
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Explanation:
उत्तल दर्पन वह दर्पण होता है जिसका परावर्तक तल बाहर की ओर उभरा हुआ होता है। ... एक उत्तल दर्पण का वक्रता केंद्र उसके पीछे बनता है। उत्तल दर्पण द्वारा बनाया गया प्रतिबिंब हमेशा सीधा, आभासी ऐवं वस्तु से छोटा होता है चाहे वस्तु की स्थिति कुछ भी हो।
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उत्तल दर्पण:
व्याख्या:
- उत्तल दर्पण हमेशा आभासी प्रतिबिंब बनाते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि उत्तल दर्पण का फोकस और वक्रता केंद्र काल्पनिक बिंदु हैं और उन तक नहीं पहुंचा जा सकता है।
- उत्तल दर्पण द्वारा निर्मित प्रतिबिम्ब यदि वस्तु को रखा जाता है:
- दर्पण के अनंत और ध्रुव के बीच- आभासी, आवर्धित और दर्पण के पीछे होगा। उत्तल दर्पण द्वारा निर्मित प्रतिबिम्ब यदि वस्तु को रखा जाता है:
- अनंत पर- आभासी,
- छोटा और दर्पण के पीछे होगा।
- एक आभासी और सीधा प्रतिबिंब बनता है। वाहनों में उत्तल दर्पण का प्रयोग किया जाता है। यह ऑटोमोबाइल और वाहनों में रियर व्यू मिरर के रूप में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है क्योंकि यह प्रकाश किरणों को अलग कर सकता है और आभासी छवियां बना सकता है।
- उत्तल दर्पण का उपयोग आवर्धक चश्मे में किया जाता है। उत्तल दर्पण हमेशा एक आभासी छवि बनाता है जो कम हो जाती है। अतः उत्तल दर्पण द्वारा उत्पन्न आवर्धन सदैव एक से कम होता है।
- एक किरण आरेख में, एक उत्तल लेंस को एक ऊर्ध्वाधर रेखा के रूप में खींचा जाता है जिसमें लेंस के आकार को इंगित करने के लिए बाहर की ओर तीर होते हैं। लेंस से मुख्य फोकस तक की दूरी को फोकस दूरी कहा जाता है।
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