उत्तर. 5. बेटियों की बाल-लीला देखकर लेखक को क्या हुआ ? क.चिंता व फ़िक्र ख. कौतूहल व विस्मय ग. ईर्ष्या व सहानुभूति घ.क्रोध व प्रेम
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सही उत्तर है...
➲ ख. कौतूहल व विस्मय
✎... ‘हिमालय की बेटियां’ गद्यांश के लेखक ‘नागार्जुन’ ने हिमालय और नदियों का मानवीकरण करके हिमालय को पिता और नदियों को बेटियों की संज्ञा दी है। उन्होंने कहा है कि जब वह हिमालय पर्वत पर खड़े होकर नीचे देखते थे तो उन्हें गंगा, यमुना, सतलज जैसी नदियां जो हिमालय की बेटियां थीं, उन की बाल लीलाएं देखकर कौतूहल एवं विस्मय होता था।
उन्हें यह देखकर अचरज होता था कि कैसे हिमालय से निकलकर पतली, दुबली यह नदियां मैदान में भी विशालकाय रूप धारण कर लेती है। जहाँ हिमालय में यह हँसती, चलती, खिलखिलाती रहती हैं, वहीं मैदान में जाकर इनका उल्लास गायब हो जाता है। इनकी ऐसी बाल लीला देखकर मुझे बेहद कौतूहल एवं विस्मय होता था।
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