उत्तराखंड और कर्नाटक के साहित्यकारों में साहित्यिक समानताएं
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कन्नड साहित्य का इतिहास लगभग डेढ़ हजार वर्ष पुराना है।[1][2][3][4][5] कुछ साहित्यिक कृतियाँ जो ९वीं शताब्दी में रची गयीं थीं, अब भी सुरक्षित हैं।[6] कन्नड साहित्य को मुख्यतः तीन साहित्यिक कालों में बांटा जाता है- प्राचीन काल (450–1200 CE), मध्यकाल (1200–1700 CE) तथा आधुनिक काल (1700 से अब तक)।[7] कन्नड साहित्य की एक विशेष बात यह है कि इसमें जैन, वीरशैव और वैष्णव तीनों सम्रदायों ने साहित्य रचना की जिससे मध्यकाल में तीन स्पष्ट धाराएँ दिखतीं हैं।[8][9][10] यद्यपि १८वीं शताब्दी से पूर्व का अधिकांश साहित्य धार्मिक था, किन्तु कुछ असाम्प्रदायिक साहित्य भी रचा गया।[11][12]
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DEHRADUN
: सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने वेडनसडे को बेंगलुरु में कर्नाटक के सीएम बीएस येदियुरप्पा से भेंट की। इस दौरान दोनों राज्यों के बीच संस्कृति के आदान-प्रदान के लिए स्कूली बच्चों के दल को एक दूसरे राज्यों में भ्रमण पर चर्चा हुई। सीएम ने एक भारत श्रेष्ठ भारत योजना के तहत स्टूडेंट एक्सचेंज प्रोग्राम योजना व संस्कृति के आदान-प्रदान से संबंधित योजना पर विचार-विमर्श किया। बताया गया कि इस योजना के तहत दोनों राज्य उत्तराखण्ड व कर्नाटक पार्टनर स्टेट भी हैं। हाल ही में कर्नाटक के स्टूडेंट उत्तराखंड भ्रमण पर आये थे। जल्द ही उत्तराखंड के स्टूडेंट भी कर्नाटक का भ्रमण करेंगे। साथ ही अन्य क्षेत्रों में भी आपसी सहयोग पर विचार विमर्श किया गया। इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल भी मौजूद रहे।