(३) उत्तर लिखिए :-
स्वयं पढ़े हुए यात्रावर्णन :- (च)
..
छ)....
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Answer:
लेख का आरम्भ ( यात्रा साहित्य एवं यात्रा वृतांत ) ->
साहित्य’ मनोवृति का घुमक्कड़ है। जब सौंदर्यबोध की दृष्टि से उल्लास भावना से प्रेरित होकर यात्रा करता है , और उसकी मुक्त भाव से अभिव्यक्ति करता है उसे यात्रा साहित्य / यात्रा वृतांत कहते हैं।
मानव प्रकृति व सौंदर्य का प्रेमी है। वह साहित्य की भांति घुमक्कड़ स्वभाव का है , जहां भी जाता है वहां से साहित्य की भांति कुछ-न-कुछ ग्रहण करता है। उसके द्वारा ग्रहण किये गये प्रेम , सौंदर्य , भाषा , स्मृति आदि को अपने शुद्ध मनोभावों से प्रकट करता है।
जो साहित्य में समाहित होकर एक नई विधा का रूप ले लेता है।यह यात्रा मानव आदि – अनादि काल से करता आ रहा है। किंतु साहित्य में यह कला नवीन है जो ‘ निबंध शैली ‘ का एक नया रूप है जिसे ” यात्रा वृतांत ” कहते हैं।
इस साहित्य विधा के पीछे का उद्देश्य लेखक के रमणीय अनुभवों को हु – बहू पाठक तक प्रेषित करना है। जिसके माध्यम से पाठक उस अनुभव को आत्मसात कर सके उसे अनुभव कर सके।
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