उत्तरी मैदान का मार्ग और उपजाऊ क्यों है?
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भारत का विशाल मैदान विश्व का सबसे अधिक उपजाऊ और घनी आबादी वाला भू-भाग कहलाता है। यह मैदान प्रायद्वीपीय भारत को बाह्य-प्रायद्वीपीय भारत से बिल्कुल अलग करता है। हिमालय के निर्माण के बाद बना यह एक नवीनतम भूखंड है, जो सिन्धु-गंगा-ब्रह्मपुत्र का प्रमुख भाग (भौगोलिक दृष्टि से एक खण्ड) था, जिसे भारत-पाकिस्तान विभाजन के पश्चात् अलग कर दिया गया। पश्चिम में सिंधु नदी के मैदान का अधिकांश भाग और पूरब में गंगा-ब्रह्मपुत्र डेल्टा का अधिकांश भाग वर्तमान भारत से अलग हो गया है। यही कारण है कि शेष मैदान को भारत के विशाल मैदान के नाम से संबोधित किया जाता है, जिसमें सतलज व व्यास का मैदानी भाग, हैं। कई भारतीय विद्वानों द्वारा इस मैदान को विशाल मैदान के नाम से भी संबोधित किया गया है।
इस विशाल मैदान का क्षेत्रफल 7 लाख वर्ग किलोमीटर है। पूरब से पश्चिम दिशा में इसकी लंबाई लगभग 2,400 किलोमीटर है। चौड़ाई में यह पश्चिम से पूरब की ओर कम होती जाती है। इसकी चौड़ाई पश्चिम में 500 किलोमीटर है तथा पूरब में क्रमशः कम होती हुई घटकर 145 किलोमीटर रह जाती है। सामान्य तौर पर इस मैदान का ढाल एकदम समतल है। इसका अधिकांश भाग समुद्र तल से लगभग 150 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इस मैदान का राजनीतिक विस्तार दिल्ली, उत्तरी राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, उत्तरी विहार, उत्तर-प्रदेश, असम, बंगाल राज्यों में है। इसकी पश्चिमी सीमा राजस्थान मरुभूमि में विलीन हो गयी है।