उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गौरेया संरक्षण हेतु किए जा रहे प्रयास कितने सफल हुए हैं
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घर हमारे बड़े-बड़े हो गए हैं, पर दिल इतने छोटे कि उनमें नन्हीं-सी गौरैया भी नहीं आ पा रही. घर-घर की चिड़िया गौरैया आज अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही है. यूरोप में गौरैया संरक्षण-चिंता के विषय वाली प्रजाति बन चुकी है और ब्रिटेन में यह रेड लिस्ट में शामिल हो चुकी है. भारत में भी पक्षी वैज्ञानिकों के अनुसार पिछले कुछ सालों में गौरैया की संख्या में उल्लेखनीय गिरावट आई है. लगातार घटती इसकी संख्या को अगर हमने गंभीरता से नहीं लिया, तो वह दिन दूर नहीं, जब गौरैया हमेशा के लिए हमसे दूर चली जाएगी.
भारत के बहुत-से हिस्सों जैसे बैंगलुरु, मुंबई, हैदराबाद, पंजाब, हरियाणा, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और दूसरे शहरों में गौरैया की स्थिति बहुत चिंताजनक है. यहां वे दिखाई देना मानो बंद-सी हो गई हैं. इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च के एक सर्वेक्षण में पाया गया कि इनकी संख्या आंध्र प्रदेश में 80 फीसदी तक कम हुई है और केरल, गुजरात और राजस्थान जैसे राज्यों में इसमें 20 फीसदी तक की कमी देखी गई है. इसके अलावा तटीय क्षेत्रों में यह गिरावट निश्चित रूप से 70 से 80 प्रतिशत तक दर्ज की गई है.