उत्तर
शिरीष ने डोळे मिटुन धेनले कारण
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Answer:
द्विवेदी जी ने शिरीष के माध्यम से कोलाहल व संघर्ष से भरी जीवन-स्थितियों में अविचल रहकर जिजीविषु बने रहने की सीख दी है। स्पष्ट करें।
उत्तर:- जब पृथ्वी अग्नि के समान तप रही होती है, तब भी शिरीष का वृक्ष कोमल फूलों से लदा लहलहाता रहता है। बाहरी गरमी, धूप, वर्षा आँधी, लू उसे प्रभावित नहीं करती। इतना ही नहीं वह लंबे समय तक खिला रहता है। इसी तरह जीवन में किसी भी प्रकार की कठिनाई क्यों न आए मनुष्य को उस पर जीत हासिल करनी चाहिए। उसे चारों और फैले भ्रष्टाचार, अत्याचार, मारकाट, लूटपाट और खून खच्चर में भी निराश नहीं होना चाहिए अपितु स्थिर और शांत रहते हुए मंजिल पर पहुँचने का प्रयास करना चाहिए। इस प्रकार शिरीष विपरीत परिस्थितियों में भी धैर्यशील रहने तथा अपनी अजेय जिजीविषा के साथ निस्पृह भाव से रहने की सीख देता है।
Explanation:
HOPE MY ANSWERS HELPS U IF U HAD PLZZZ BRAINLIST ME
Answer:
ashnika प्रश्न परत लिहा ।।।।।। ok.....