उत्तर दीजिए ( लगभग 100-150 शब्दों में ) महाजनपदों के विशिष्ट अभिलक्षणों का वर्णन कीजिए।
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महाजनपदों के विशिष्ट अभिलक्षणों का वर्णन :
महाजनपद वे राज्य थे जो 6ठीं और चौथी शताब्दी के बीच मौजूद थे। बौद्ध और जैन ग्रंथों में सोलह महाजनपदों का उल्लेख है। इन सभी का नाम सभी ग्रंथों में एक समान नहीं है लेकिन कुछ नाम सामान्य और एकसमान हैं जिसका अर्थ है कि वे शक्तिशाली थे।
ये महाजनपद हैं वज्जि, मगध, कौशल, कुरु, पांचाल और गंधार। महाजनपदों की महत्वपूर्ण विशेषताएं इस प्रकार हैं।
1. अधिकांश महाजनपदों पर शक्तिशाली राजाओं का शासन था। हालाँकि, कुछ महाजनपद थे, जहाँ शासन कई लोगों का समूह करता था । इस समूह का प्रत्येक व्यक्ति राजा कहलाता था। हम उन्हें गणराज्य कहते हैं। कुछ राज्यों में भूमि सहित अनेक आर्थिक संसाधनों पर राजा लोगों का सामूहिक नियंत्रण था।
2. प्रत्येक महाजनपद की अपनी राजधानी थी। राजधानी आमतौर पर किले से घिरी होती है। सुरक्षा और आर्थिक संसाधनों के लिए राजधानी के किलेबंदी की आवश्यकता थी।
3. लगभग 6ठी शताब्दी ईसा पूर्व के आसपास ब्राह्मणों ने "धर्मशास्त्र" नामक ग्रंथ को संकलित करना शुरू किया था, जिसमें राजशाही सहित नैतिकता के नियम शामिल हैं। इसमें यह उल्लेख था कि राजा क्षत्रिय होना चाहिए।
4. राजा का मुख्य काम किसानों, व्यापारियों, कारीगरों से करों का संग्रह था तथा भेंट वसूल करना माना जाता था।
5. धन के लिए पड़ोसी देशों को लूटना उचित माना जाता था।
6. धीरे-धीरे महाजनपद के पास पूर्णकालिक सेना और अधिकारी होने लगे। सैनिक किसानों की श्रेणी से थे।
आशा है कि यह उत्तर आपकी अवश्य मदद करेगा।।।।
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Explanation:
बौद्ध और जैन ग्रंथों में सोलह महाजनपदों का उल्लेख है। इन सभी का नाम सभी ग्रंथों में एक समान नहीं है लेकिन कुछ नाम सामान्य और एकसमान हैं जिसका अर्थ है कि वे शक्तिशाली थे। ये महाजनपद हैं वज्जि, मगध, कौशल, कुरु, पांचाल और गंधार। महाजनपदों की महत्वपूर्ण विशेषताएं इस प्रकार हैं।