History, asked by maahira17, 10 months ago

उत्तर दीजिए (लगभग 100 से 150 शब्दों में) इब्न बतूता द्वारा दास प्रथा के संबंध में दिए गए साक्ष्यों का विवेचन कीजिए।

Answers

Answered by nikitasingh79
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इब्न बतूता द्वारा दास प्रथा के संबंध में दिए गए साक्ष्यों की विवेचना :  

इब्न बतूता के विवरणों से ज्ञात होता है कि तत्कालीन समय में दास प्रथा का बहुत अधिक प्रचलन था। बाजारों में दासो की खरीद वस्तुओं की तरह होती थी । इसके अतिरिक्त लोग दासों को भेंट स्वरूप भी देते थे। इब्न बतूता स्वयं का उदाहरण देते हुए कहते हैं कि उसने भी सुल्तान मोहम्मद बिन तुगलक को भेंट स्वरूप दास दिए थे । दासो का उपयोग पुरस्कार के रूप में भी किया जाता था । जैसे कि मोहम्मद बिन तुगलक नसरुद्दीन नामक धर्मोपदेशक के प्रवचन से इतना खुश हुआ कि उसे 'एक लाख टके तथा दो सौ दास'  पुरस्कार में दे दिए। दासो का प्रयोग घरेलू श्रम के लिए भी किया जाता था ।

अधिकांश परिवार अपने सामर्थ्य के अनुसार दासो को रखते थे। दासो की कीमत बहुत ही कम होती थी और घरेलू श्रम के अतिरिक्त पालकी उठाना उनका प्रमुख कार्य था । पुरुषों के साथ-साथ स्त्री दासो का भी प्रचलन था । अधिकांश दासियों को हमलों और अभियानों के दौरान प्राप्त किया जाता था । महलों में इन दासियों से संगीत व गायन आदि जैसे कार्य कराए जाते थे। इसके अतिरिक्त इन दासियों को उनके गुप्त कार्यों जैसे सुल्तान द्वारा अमीरों पर नजर रखने के लिए भी नियुक्त किया जाता था।

आशा है कि यह उत्तर आपकी अवश्य मदद करेगा।।।।

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Answered by bhatiamona
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उत्तर दीजिए (लगभग 100 से 150 शब्दों में) इब्न बतूता द्वारा दास प्रथा के संबंध में दिए गए साक्ष्यों का विवेचन कीजिए।

उत्तर-  इब्नबतूता ने दास प्रथा के संबंध में अनेक साक्ष्य दिए हैं, जिन का विवेचन इस प्रकार है...

इब्नबतूता ने उल्लेख किया है कि उस समय बाजारों में दासों की बिक्री सामान्य वस्तुओं की तरह खुलेआम होती थी। दास खुलेआम खरीदे और बेचे जाते थे। लोग एक दूसरे को नियमित रूप से भेंट स्वरूप दासों भेंट करते थे।

जब इब्नबतूता सिंध पहुंचा तो उसे वहाँ के सुल्तान मोहम्मद बिन तुगलक ने उपहार स्वरूप घोड़े आदि पशुओं के साथ-साथ दास भी दिए।

इसके अलावा जब इब्नबतूता मुल्तान गया तो वहाँ के गवर्नर ने भी उसे सूखे मेवों के साथ-साथ एक घोड़ा और एक दास भी उपहार स्वरूप दिया।

एक घटना का उल्लेख करते हुए इब्नबतूता कहता है कि मोहम्मद बिन तुगलक एक धर्मोपदेशक नसीरुद्दीन के प्रवचनों से इतना खुश हुआ कि उसने एकलाख मुद्रा तथा 200 दास दे दिए।

इब्नबतूता के विवरणों से पता चलता है कि उस समय दास प्रथा अपने चरम पर थी और दासों कों को खरीदना बेचना आम बच्चों की तरह खरीदने बेचने के समान था।

इब्नबतूता के दिए विवरणो के अनुसार पुरुष दासों का उपयोग घरेलू श्रम के कार्यों जैसे बाग बगीचों की देखभाल, पालतू पशुओं की देखभाल, महिला या पुरुषों की पालकी या डोली को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने के लिए होता था। जबकि महिला दासियों का कार्य शाही महल तथा अमीरों के महलों में घरेलू कार्य करने, रसोई संबंधी कार्य करने व संगीत गायन आदि के लिए किया जाता था। उस समय शादी-विवाह समारोह में दसियों द्वारा बहुत उच्च कोटि के संगीत कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाते थे। सुल्तान लोग अपने अमीरों पर नजर रखने के लिए दासियों का प्रयोग करते थे।

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