उत्तर दीजिए (लगभग 100 से 150 शब्दों में) कृषि इतिहास लिखने के लिए आइन को स्रोत के रूप में इस्तेमाल करने में कौन सी समस्याएँ हैं? इतिहासकार इन समस्याओं से कैसे निपटते हैं?
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कृषि इतिहास लिखने के लिए आइन को स्रोत के रूप में इस्तेमाल करने में निम्न समस्याएँ हैं -
- कृषि से संबंधित संख्यात्मक आंकड़ों में विषमताएं देखने को मिलती है।
- सभी सूबों से आंकड़े क्षेत्र के अनुसार एकत्रित नहीं किए गए हैं। एक और जहां कई सूबों के लिए जमीदारों की जाति के अनुसार सूचना एकत्रित की गई वहीं दूसरी और बंगाल और उड़ीसा के लिए ऐसी सूचनाएं उपलब्ध नहीं है।
- सूबों से लिए गए राजकोषीय आंकड़े तो दिए गए हैं, परंतु ही क्षेत्रों की कीमतों तथा मजदूरी के बारे में चर्चा नहीं की गई है और यदि की भी गई है तो केवल आगरा और उसके आसपास के क्षेत्रों की।
- आइन - ए- अकबरी में कुछ प्रांतों से संबंधित जो आंकड़े दिए गए हैं वह बाकी प्रांतों के संदर्भ में प्रासंगिक नहीं थे।
इतिहासकार ऐसी समस्याओं से निपटते के लिए इस समय के अन्य ग्रंथों तथा यात्रियों के विवरण , अभिलेखीय साक्ष्य, 17 वीं व 18 वीं शताब्दी के गुजरात, महाराष्ट्र और राजस्थान से मिलने वाले उन दस्तावेजों का अध्ययन करते हैं , जो सरकार की आय की विस्तृत जानकारी देते हैं। इसके साथ ही इतिहासकार सिक्कों का अध्ययन भी करते हैं। उनके अध्ययन में जो भी ऐतिहासिक त्रुटियां रह जाती हैं, उन्हें पूरा कर लिया जाता है।
आशा है कि यह उत्तर आपकी अवश्य मदद करेगा।।।।
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