उत्तर दीजिए (लगभग 100 से 150 शब्दों में) मुग़ल दरबार से जुड़े दैनिक-कर्म और विशेष उत्सवों के दिनों ने किस तरह से बादशाह की सत्ता के भाव को प्रतिपादित किया होगा?
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मुग़ल दरबार से जुड़े दैनिक-कर्म और विशेष उत्सवों के दिनों ने निम्न तरह से बादशाह की सत्ता के भाव को प्रतिपादित किया होगा -
- दरबार में किसी व्यक्ति की स्थिति का पता इस बात से लगाया जाता था कि वह शासक के कितना पास अथवा कितनी दूर बैठता था । दरबार में किसी भी व्यक्ति का स्थान दीवान के अधीन होता था।
- दरबारी समाज में मान्य संबोधन, शिष्टाचार तथा बोलने के नियम ध्यान पूर्वक निर्धारित किए गए थे । शिष्टाचार उल्लंघन पर कठोर दंड दिया जाता था।
- दरबार में अभिवादन पदानुक्रम के अनुसार विभिन्न प्रकार का होता था। जिस व्यक्ति के सामने अधिक झुककर अभिवादन किया जाता था ,उस व्यक्ति का सम्मान उतना ही अधिक ऊंचा माना जाता था । यहां तक कि राजनायिक दूत भी झुककर ही सम्राट को अभिवादन करता था।
- शाही परिवारों के उत्सव और विवाह धूमधाम से होते थे और लोग एक दूसरे को उपहार भी देते थे।
- दैनिक कार्यों में झरोखा दर्शन उसकी शासक महत्ता को दिखाता था।
- होली ,दीपावली, नौरोज आदि त्योहारों को दरबारी संस्कृति के साथ मनाया जाता था। अतः ये सभी बादशाह की शक्ति, सत्ता एवं प्रतिष्ठा को दर्शाते हैं।
आशा है कि यह उत्तर आपकी अवश्य मदद करेगा।।।।
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