उत्तर दीजिए ( लगभग 100 से 150 शब्दों में) औपनिवेशिक संदर्भ में शहरीकरण के रुझानों को समझने के लिए जनगणना संबंधी आंकड़े किस हद तक उपयोगी होते हैं।
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औपनिवेशिक संदर्भ में शहरीकरण के रुझानों को समझने के लिए जनगणना संबंधी आंकड़े बहुत ही उपयोगी सिद्ध होते हैं-
- जनगणना संबंधी आंकड़े गोरी एवं काले शहरों के निर्माण व विस्तार और उनके जीवन संबंधी स्तर, भयंकर बीमारियों की जनसंख्या पर पड़े दुष्प्रभाव को जाने में सहायक होते हैं । ये आंकड़े देश की सामाजिक स्थिति के अंतर्गत विभिन्न समुदायों, उनके कार्यो एवं जातियों की जानकारी उपलब्ध कराते हैं।
- जनसंख्या संबंधी आंकड़ों का मुख्य प्रभाव मुंबई, मद्रास और कोलकाता आदि शहरों के शहरीकरण पर दिखाई देता है, क्योंकि औपनिवेशिक काल में यह तीनों शहर अन्य भारतीय शहरों की अपेक्षा अधिक विकसित थे तथा वहां जनसंख्या का संकेंद्रण भी अधिक था।
- जनसंख्या संबंधी आंकड़े नक्शा और रिकार्डों के आधार पर तैयार किए जाते हैं , जिनसे औपनिवेशिक शहरों का विस्तृत अध्ययन करना आसान होता है , साथ ही शहरी योजनाओं को लागू करने में सहायता करते हैं।
आशा है कि यह उत्तर आपकी अवश्य मदद करेगा।।।।
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Explanation:
औपनिवेशिक संदर्भ में शहरीकरण के रुझानों को समझने के लिए जनगणना संबंधी आंकड़े काफी हद तक उपयोगी होते हैं।
इसका विवेचन इस प्रकार है. :-
- जनसंख्या संबंधी आंकड़ों से औपनिवेशिक काल के भारत के शहरों में रहने वाले श्वेत और अश्वेत नागरिकों की जनसंख्या के अनुपात का सही आकलन आसानी से पता लगाया जा सकता है।
- इन आंकड़ों से श्वेत एवं अश्वेत लोगों के शहरों और इन शहरों के निर्माण व विस्तार और उसमें रहने वाले लोगों के जीवन स्तर तथा बीमारी आदि से जनता पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव आदि के विषय में भी उपयोगी जानकारी प्राप्त होती है।
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